मित्रता और विश्वासघात ( mitarta aur vishwasghaat par kahani )

मित्रता और विश्वासघात ( mitarta aur vishwasghaat par kahani )

एक बहुत ही बड़ा जंगल था! वहां एक बंदर और मगरमच्छ दोनों रहा करते थे !

वह दोनों की बहुत ही गहरी दोस्ती थी ! बंदर हमेशा पेड़ पर बैठा रहता था ! वह हर सुबह  मीठे फल वह मगरमच्छ को खिलाता था !

मगरमच्छ हर शाम को बंदर को पूरे तालाब की सैर कराता था ! 

दोनों एक दूसरे के परम मित्र थे ! दोनों एक दूसरे की हमेशा सहायता किया करते थे !

मगरमच्छ को जो भी मीठे फल मिलते थे उसमें से थोड़े फल अपने पत्नी को दे देता था !

मगरमच्छ ने कहा कि, ” मेरा मित्र बंदर मुझे रोज हम मीठा फल देता है! “

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मगरमच्छ के पत्नी ने कहा, ” अगर बंदर बंदर के पास इतने सारे मीठे फल है तो उसका कलेजा तो बहुत मीठा होगा !

मुझे बंदर का कलेजा चाहिए ! मगरमच्छ की पत्नी ने बहुत ही जिद पकड़ ली !

मगरमच्छ ने आखिरकार हार कर अपने पत्नी की बात मान ली !

दूसरे दिन मगरमच्छ को बंदर ने हर रोज की तरह मीठे फल दिया !

शाम को मगरमच्छ बंदर को सैर करा रहा था !

मगरमच्छ ने कहा, ” भाभी जी ने आपको आज घर पर बुलाया है !

भाभी जी ने मुझसे वादा किया था कि बंदर को मेरे पास ले आना !

क्योंकि उसे आपका कलेजा खाना है !

बंदर घबरा गया ! बंदर ने कहा कि यह बात आपने मुझे पहले क्यों नहीं बताई ?

मैं तो मेरा कलेजा आप पेड़ पर ही भूल गया हूं !

बंदर को पेड़ की तरफ ले गया !

बंदर तुरंत ही पेड़ पर चढ़ गया! उस ने क्रोधित होकर कहा, ” मूर्ख, तुम मित्रता निभाने के लायक नहीं है !”

आज तेरी इस लापरवाही के कारण मेरी जान जा सकती थी !

आज के बाद अरे बीच में कोई मित्रता नहीं है!

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मित्रता और विश्वासघात ( mitarta aur vishwasghaat par kahani ) कहानी से सीख :

– जब विपरीत परिस्थिति आती है तो बुद्धि से निर्णय लीजिए !

– विपरित परिस्थिति में बिल्कुल भी घबराइए मत !

– हमें किसी की भी बातों में नहीं आना चाहिए !

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