शिक्षाप्रद बोध कथा – चांदी का बर्तन
शिक्षाप्रद बोध कथा – चांदी का बर्तन ( प्रेरक कथा )
एक बार भिक्षुक मगन लाल के घर बाहर खड़ा हो जाता है।
जैसे मगन लाल उस भिक्षुक के आंखों में लाचारी को देखता है तो उसे चांदी का बर्तन देता है।
![शिक्षाप्रद बोध कथा](http://preraktalks.com/wp-content/uploads/2021/05/sikshaprad-bodh-katha-1024x577.jpg)
कुछ समय बाद मगन लाल की पत्नी को जब पता चलता है तो वह जोर से चिल्लाकर कहती है, ’अरे क्या कर दिया।
आपने इतना सुंदर चांदी का बर्तन क्यो दिया ?
मगनलाल दौड़ते हुए भिखारी के पास जाता है और कहता है,
“भाई मेरी पत्नी ने मुझे जानकारी दी है कि यह बर्तन चांदी का है, कृपया इसे सस्ते में कृपया मत बेच दीजियेगा। ”
इसकी आपको अच्छी कीमत मिलनी चाहीए।
निष्कर्ष :
यह तो एक छोटी सी कहानी है पर शिक्षाप्रद बोध कथा ( sikshprad bodh kahani ) से सिख मिलती है की हमारे भारत भूमि पर ऐसे कई महान पुरूष ने जन्म लिया है।
जिन्होंने जनहित के कल्याण के लिए स्वयंम का सब कुछ और पूरा जीवन निच्योवर कर दिया है।
अगर समाज में कुछ लोग एक दूसरे के आगे बढ़ने में बाधक होते है वैसे ही कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते है जो लोगो की मदत के लिए तत्पर होते है।
2) शिक्षाप्रद बोध कथा – अपराधी कोन है
एक स्थान से दुसरे स्थान पर व्यापारी जहाज़ से लौट रहा था!
अचानक समुद्र की लहरें तेज हो गई !
विशाल लहरों की गड़गड़ाहट ऐसे प्रतीत हो रही थी मानो किसी जानवर की भयंकर गर्जना हो !
कुछ समय बाद जहाज अपना संतुलन खो जाने के कारण एक चट्टान से जा टकराया !
उस जहाज के टकराने से चूर चूर हो गया !
उसमें सवार सभी यात्री मारे गए परंतु एक व्यक्ति बच गया !
वह बेहोश था ! जब उसे होश आया तो वह चिल्ला उठा और बोला,” पहले तो तुमने अपनी शांत लहरों से व्यापारियों को भ्रमित और प्रभावित किया !
जब वे आधी यात्रा मैं पहुंच गए तो तुमने एक विशाल जंगली पशु की भांति उन्हें खा लिया !
मासूमों की जान लेकर तुम्हें क्या मिला ?” यह कहकर वह रोने लगा !
तभी समुंद्र एक लड़की रूप में प्रकट होकर बोला,” मुझे दोष मत दो।
मेरा स्वभाव शांत है ! मगर मैं क्या करू ? यह तेज तूफानी हवाएं मेरी आज्ञा लिए बिना मुझे पर आक्रमण कर देती है ! ।
असली गुनहगार यह तेज तूफानी हवाएं है !
निष्कर्ष :
इस शिक्षाप्रद बोध कहानी से सीख मिलती है की हमे इलजाम लगाने के पहले असली अपराधी कोन है वह ढूंढना चाहिए !
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