प्रेरक कहानी – गुब्बारे से सीख ( Prerak Kahani )
प्रेरक कहानी – गुब्बारे से सीख ( Prerak Kahani )
यह प्रेरक कहानी एक छोटे से बच्चे की है। यह कहानी पढ़ने के बाद हमें हमारे जीवन में हमारी असली ताकत का अंदाजा हो जाएगा।
तो चलो शुरू करते हैं प्रेरक कहानी,
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एक 5 वर्षीय छोटा सा बालक अपने पिताजी के साथ मेले में जाता है।
वहां बहुत सारे बच्चे उस मेले में गुब्बारे से खेलते और झूमते नजर आते हैं।
वह 5 वर्षीय बालक गुब्बारों को देखकर बहुत आकर्षित हो जाता है।
वह अपने पिताजी से कहता है कि पिताजी मुझे यह गैस वाला गुब्बारा चाहिए।
पिताजी तुरंत उसे गुब्बारे वाले के पास ले चलते हैं और गुब्बारे वाले को कहते हैं कि एक गुब्बारा दीजिए।
वह बालक तुरंत कहता है , ऐसे कलर का गुब्बारा दो जो सबसे ऊपर जा सके।
यह कहने के बाद वह बालक हर रंग बिरंगे गुब्बारे को देखकर कहता है कि यह लाल कलर वाला गुब्बारा मस्त है यह सबसे ऊपर जाएगा।
गुब्बारे वाला उस बच्चे को समझाता है कि बेटा, वही गुब्बारा सबसे ऊपर जाएगा जिसमें ज्यादा हवा भरी हुई है।
गुब्बारे में जितनी ज्यादा गैस होगी वह उतना ऊपर जाएगा।
उसके बाद वह बालक गुब्बारे के कलर को पसंद नहीं करता बल्कि जो गुब्बारे में ज्यादा गैस भरी हुई होती है वह पसंद करता है।
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निष्कर्ष :
प्रेरक कहानी ( Prerak Kahani ) से सिख मिलती है की,
आज वही इंसान ऊंचाइयों पर पहुंचता है जिसके जीवन में आत्मविश्वास, सहनशीलता, कृतज्ञता, दृढ़ निश्चय जैसे आंतरिक गुणों की विशेषताए हो।
आप भले ही बाहर से कितने भी बलशाली हो उससे फर्क नहीं पड़ता।
जब कोई परेशानी आए तो उस परेशानी को हल करने के लिए आपने आत्म बल कितना है उससे फर्क पड़ता है।
इसलिए इंसान का आंतरिक सौंदर्य, बाहरी सौंदर्य से बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।
जो व्यक्ति अपने आंतरिक सौंदर्य पर कार्य करता है वह अवश्य ही आगे बढ़ता है।
भले ही आप दिखने में अच्छे नहीं हो उससे फर्क नहीं पड़ता है आपका काम कैसा है उससे फर्क पड़ता है।