प्रेरक बाल कहानि – मुर्ख बालक ( Prerak Bal Kahani )
1)प्रेरक बाल कहानि – मुर्ख बालक ( Prerak Bal Kahani )
वसंत का सुहाना मौसम था। सर्दी की ऋतु बीत चुकी थी और गर्मियों अभी शुरू नहीं हुई थी।
एक बच्चा नदी किनारे टहल रहा था। की अचानक उसका तेरने का मन हुआ ! उसने बिना सोचे अपने कपड़े उतारकर किनारे पर रखे और नदी में कूद गया।
पानी में उतरते ही उसे महसूस हुआ की पानी बहुत ठंडा है।
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यदि इसमें कुछ देर और रहा तो ठंड लग जायेगी।
इसलिए उसने जल्दी से बाहर निकलना चाहा, लेकिन नदी उस समय अपने उफान पर थी और उसे अपने साथ बहाए लिए जा रही थी।
लड़के ने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की पर निकल पर निकल नही पा रहा था।
वह जोर – जोर से चिल्लाने लगा,” बचाओ बचाओ। मैं डूब रहा हु। ” नदी के पास से एक व्यक्ति गुजर रहा था । वह बोला,” मुर्ख बालक ! तुम्हे समझ होनी चाहीए की यह तैराकी का मौसम नही है। यदि तुम्हारे माता पिता तुम्हे ऐसे तैरता हुआ देखते तो कितना नाराज होते, इसका तुम्हे अंदाजा भी नहीं है। “
“बच्चा बोला,” अंकल जी, पहले मुझे बाहर निकालो, फिर ऐसी गलती तो गलती से भी नही करुंगा।”
निष्कर्ष :
प्रेरक बाल कहानि ( Prerak Bal Kahani ) से सिख मिलती है की, इंसान के मन बहुत से विचार आते है। आपको कोई भी निर्णय सोच समझकर और उसका विश्लेषण करके लेना होगा।
बिना सोच समझे लिया गया निर्णय अधिकतर हानिकर सिद्ध होता है।
2) प्रेरक बाल कहानि – बच्चो की शरारत
गर्मियों की छुट्टी थी ! बच्चे बैठे बैठे हो रहे थे कि एक बच्चे ने सलाह दी, “चलो, तालाब पर पत्थर फेंकना का खेल खेलते हैं !”
सबको उसकी सलाह पसंद आए और तालाब की और चल पढ़े !
तालाब में बहुत समय तक रहते थे और बच्चे अक्सर उन को परेशान किया करते थे !
उस दिन दोनों ने खूब सारे पत्थर इकट्ठा किया और किनारे बैठ कर फेंकने लगे !
मेंढक बिचारे पत्थरों से बचने के लिए किनारे पर आते तो कभी खुद का तालाब में चले जाते थे !
बच्चे की शरारत से मेंढक में हड़कंप मच गया ! एक समझदार मेंढक तालाब से निकलकर बच्चों के पास आकर बोला तालाब में पत्थर फेंकना बंद करो !
तुम्हें जिस खेल में मजा आ रहा है उससे हम मेंढक घायल हो सकते हैं और मर भी सकते हैं !
बच्चों की समझ में मरने की बात आ गई और उन्होंने तालाब में पत्थर फेंकना बंद कर दिया !
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निष्कर्ष :
दोस्तों इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि, अपनी खुशी के लिए दूसरों को परेशान करना उचित नहीं है !
आप जो भी कर रहे हो उसके पहले आपको विचार करना होगा कि यह कार्य दूसरों के लिए हानिकारक तो नहीं है !
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