लोमड़ी और अंगूर की कहानी|lomdi aur angoor ki kahani in hindi

लोमड़ी और अंगूर की कहानी ( lomdi aur angoor ki kahani in hindi )

(लोमड़ी और अंगूर की कहानी) प्रस्तावना –

जल्दबाजी में कार्य करना यह असफल व्यक्ति की निशानी है।

– हमेशा स्वयं से ईमानदार रहो।

– अच्छे से योजना बनाकर कार्य करे।

लोमड़ी और अंगूर की कहानी नैतिक कहानी है।

लोमड़ी और अंगूर की कहानी

एक लोमड़ी भूख के कारण परेशान थी। वह भोजन के खोज में यहा वहा भटकने लगी ।

वह पूरे तरह से थक चुकी थी। अचानक उसकी नजर एक हरे भरे बाग पर गिरी।

उसे वहा से बहुत ही मीठी सी सुगंध आ रही थी। वह जट से भागी और बाग में इर्द गिर्द देखने लगी।

वह जैसे कदम बढ़ाती थी उसे सुगंध और भी ज्यादा आने लगती थी। लोमड़ी की भुख सुगंध के कारण और भी बहुत तेज हो गई थी।

कड़ी मेहनत के बाद उसने देखा कि बाग तो अंगूर की बेलों से भरपूर भरा हुआ है ! वह खूशी के कारण झूम उठी।

वह रसदार, मीठे , रसीले बेलो को खाने के लिए बहुत आतुर थी।

उसने आव देखा न ताव बेले खाने के लिए जोर से छलांग लगाई पर वह थड़ाम कर के नीचे गिर गई।

उसने दूसरी बार प्रयास किया पर वह असफल रही।

तीसरी बार प्रयास किया पर फिर से असफल रही।

फिर आक्रोश में वह दूर से भागते हुए जोर से छलांग मारा पर इस बार तो बहुत बुरी तरह असफल हुई।

असफलता बार बार हाथ लगने से उसने विचार किया की अब यह मेरे तकदीर में नही है।

निराश होकर उसने कहा ” अंगूर खट्टे है ! ” इसलिए मैं यह अंगूर नहीं खाना चाहती हू।

लोमड़ी और अंगूर की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

(भूखी लोमड़ी कहानी ) लोमड़ी और अंगूर की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है की लोमड़ी और खट्टे अंगूर की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि,

– सफलता ही असफलता का अगला चैप्टर है। इसलिए हमे हार नहीं माननी चाहीए ! अगर लोमड़ी ने और भी प्रयास किया होता तो जीत अवश्य होती।

लोमड़ी और अंगूर की कहानी की सीख यह भी है की हमे स्वयं से ईमानदार रहना चाहीए । अगर हम कोई कार्य में सक्षम नहीं है तो हमे हमारी क्षमता को बढाना है।

हमारे कमियों को नजर अंदाज नही करना चाहीए।

– जल्दबाजी में कार्य नही करना चाहीए।

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