Kauwa aur Koyal ki kahani in hindi | कौवा और कोयल की कहानी
( कौवा और कोयल की कहानी ) प्रस्तावना :
हमारे दैनिक जीवन में हम अनेको कार्य करते है। कुछ कार्य ऐसे होते है जिसमें हमारा समय बहुत खर्च होता है।
आज हम Kauwa aur Koyal ki kahani in hindi के माध्यम से समझेगे की कोई भी कार्य करने के पहले विचार करना जरूरी है.
Kauwa aur Koyal ki kahani in hindi | कौवा और कोयल की कहानी
बहुत साल पहले, सुमन पुर के पास एक जंगल था।
इस जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ खड़ा था। इस पेड़ पर एक कौवा और एक कोयल रहते थे। प्रत्येक अपने अलग-अलग घोंसलों में।
एक रात, जंगल में एक तेज आंधी उठी और जल्दी-जल्दी बारिश शुरू हो गई।
कुछ ही समय में, जंगल की सभी चीजें नष्ट हो गईं।
अगले दिन, कौवे और कोयल को भूख लगी, लेकिन उन्हें कुछ भी खाने को नहीं मिला।
तब कोयल ने कौवे से कहा, “हम इस जंगल में प्यार से रहते हैं लेकिन अब हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। हम क्यों न एक-दूसरे के लिए अंडा देने की सोचें?
जब मैं अंडा दूंगी । तब तुम उसे खाकर अपनी भूख मिटा सकते हो और जब तुम अंडा दोगे। मैं उसे खाकर अपनी भूख मिटा लूंगी।”
कौवा ने कोयल की सोच को स्वीकार किया। उन्होंने सही समय पर अंडा दिया । कोयल ने उसे खाकर अपनी भूख मिटा ली।
फिर कोयल ने अपना अंडा दिया। कौवा जैसे ही कोयल के अंडे को खाने लगा, कोयल ने उसे रोक दिया।
कोयल ने कहा, “तुम्हारी चोंच गंदी है। तुम्हें उसे धोना चाहिए। फिर अंडा खाना।”
जल्दी से भागते हुए, कौवा नदी के किनारे पहुँचा। उसने नदी से कहा, “तुम मुझे पानी दो। मैं अपनी चोंच धोकर कोयल का अंडा खाऊंगा।”
नदी ने कहा, “ठीक है! तुम एक प्याला लेकर आओ, तब मैं तुम्हें पानी दूंगी।”
अब कौवा तेजी से चलकर, एक कुम्हार के पास पहुँचा। उसने कुम्हार से कहा ।
मुझे एक प्याला चाहिए। मैं उसमें पानी भरकर अपनी चोंच धोकर कोयल का अंडा खाऊंगा।”
कुम्हार ने कहा, “तुम मुझे मिट्टी दो, और मैं तुम्हें प्याला बनाकर दे दूंगा।”
इस सुनते ही, कौवा धरती माता से मिट्टी मांगने लगा। उसने कहा, “माता, मुझे मिट्टी दे दो।
मैं उससे प्याला बनवाऊंगा और उस प्याले में पानी भरकर अपनी चोंच साफ करूंगा।
फिर कोयल का अंडा खाने के लिए उस पानी से भूख मिटाऊंगा।”
धरती माता ने कहा, “मैं मिट्टी दूंगी । लेकिन तुम्हें खुरपी लानी होगी। उसी से तुम मिट्टी खोदकर ला सकोगे।”
भागते हुए, कौवा लोहार के पास पहुँचा। उसने लोहार से कहा, “मुझे खुरपी दे दो।
मैं उससे मिट्टी खोदकर कुम्हार को दूंगा और उसी मिट्टी से प्याला बनाऊंगा।
फिर प्याले में पानी भरूंगा और उस पानी से अपनी चोंच साफ करके कोयल का अंडा खाऊंगा।”
लोहार ने गर्म-गर्म खुरपी कोयल को दे दी। जैसे ही कौवा ने उसे पकड़ा, उसकी चोंच जल गई।
कौवा तड़पते हुए मर गया।
इस तरह कोयल ने चतुराई से अपने अंडे को कौवे से बचा लिया।
Kauwa aur Koyal ki kahani in hindi | कौवा और कोयल की कहानी
कहानी से सीख: (कौवा और कोयल की कहानी )
Kauwa aur Koyal ki kahani in hindi ( कौवे और कोयल की कहानी ) से हमें यह सीख मिलती है कि हमेशा दूसरों पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए।
इससे हमें अपना नुकसान ही होता है।