Kabutar aur chiti ki kahani ( कबूतर और चींटी का कहानी )

Kabutar aur chiti ki kahani ( कबूतर और चींटी का कहानी ) प्रस्तावना –

जो व्यक्ति बुरे वक्त में किसकी मदत करता है । उसकी स्वयं भगवान समय आने पर सहयोग करते है
इसलिए हमेशा सेवा भाव की धारणा बनाए रखे ।

Kabutar aur chiti ki kahani बहुत ही शिक्षावर्धक कहानी है। कबूतर और चींटी की कहानी बहुत ही प्रचलित है। कबूतर और चींटी की कहानी का वीडियो आज भी लाखो लोग देखते है। यह कहानी पंचतंत्र कहानी में भी शामिल है।

 Kabutar aur chiti ki kahani

कबूतर और चींटी की कहानी लेखन ( kabutar aur chiti ki kahani in hindi )

एक समय की बात है । एक चींटी पानी के किनारे भोजन की सामग्री खोज रही थी।

अचानक हवा का झोका आता है। चींटी हवा के कारण पानी में गिर जाती है।

वो अथक प्रयास करती है । लेकिन वो वहा से निकलने में अक्षम हो जाती है।

कबूतर की नजर उस पर पड़ती है । कबूतर डाली का एक पत्ता तोड़ता है। वह नदी के अंदर फेक देता है।

चींटी उस पत्ते के सहारे नदी में डूबते– डूबते स्वयं का बचाव कर लेती है।

चींटी के मन में सेवा का भाव जागृत होता है । वह विचार करती है, ” कबूतर के विपरीत परिस्थितियों में उसका सहयोग करूगी। ” एक दिन अचानक जंगल में शिकार करने एक शिकारी आता है।

वह कबूतर अपने जाल में फसा लेता है। कबूतर अथक प्रयास करता है। लेकिन बचने में असमर्थ हो जाता है।

चींटी की नजर कबूतर पर पड़ती है । वह तुरंत भागकर उस शिकारी को जोर से काटती है।

दर्द के कारण शिकारी की पकड़ कमजोर हो जाती है । जैसे ही शिकारी की पकड़ कमजोर होती है उस समय का फायदा उठाते हुए कबूतर उड़ जाता है । इस प्रकार कबूतर की जान बच जाती है।

पढ़े – कबूतर और चींटी की कहानी हिंदी में ( chiti aur kabootar ki kahani hindi mein )

Kabutar aur chiti ki kahani ( कबूतर और चींटी का कहानी ) से सिख –

– हमेशा जो भी व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में हो उसका सहयोग कीजिए।

– बिना स्वार्थ के अगर आप किसका सहयोग करोगे तो उसका फल अवश्य प्राप्त होगा।

chiti aur kabootar ki kahani ka moral हमारे जीवन के लिए उपयोगी है।

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