हाथी और शेर की कहानी | HATHI AUR SHER KI KAHANI

हाथी और शेर की कहानी ( प्रस्तावना ) :

आज के समय हर एक व्यक्ति किस न किसी कारण परेशान रहता है।

अगर आपके पास एक समस्या है है तो सामने वाले वाले के पास दस समस्या है।

इसलिए हाथी और शेर की कहानी से समझ आएगा की इंसान को ज्यादा व्यर्थ की चिंता नहीं करनी चाहिए.

हाथी और शेर की कहानी ( HATHI AUR SHER KI KAHANI ) शरू करते है,

एक बार जंगल में एक शेर अकेले बैठा हुआ था।

उसके मन में यह चिंता थी कि उसके पास तेज धारदार मजबूत पंजे और दांत होने के बावजूद, जंगल के सभी जानवर मोर की तारीफ क्यों करते रहते हैं।

शेर को दुख होता था कि सभी जानवर मोर की तारीफ करते थे। सब बताते थे कि मोर जब अपने पंख फैलाकर नाचता है। वह बहुत सुंदर लगता है।

शेर को यह सोचकर दुःख हो रहा था कि वह ताकतवर होने के बावजूद भी कोई उसकी तारीफ नहीं करता है।

ऐसे में उसे अपने जीवन का मतलब समझ नहीं आ रहा था।

उसी समय हाथी वहां से जा रहा था।

वह भी बहुत दुखी था। जब शेर ने हाथी को देखा, तो उससे पूछा – “तुम इतना बड़ा शरीर और ताकतवर होने के बावजूद भी इतने दुखी क्यों हो? तुम्हें क्या परेशानी है?”

दुखी हाथी ने जवाब दिया – “जंगल में सबसे छोटे जानवर भी मेरे जैसे बड़े जानवर को परेशान कर सकते हैं।”

शेर ने पूछा – “कौन सा छोटा जानवर हैं।”

हाथी ने कहा – “महाराज, वह जानवर चींटी है, जो इस जंगल में सबसे अल्प आकार का है।

लेकिन जब भी वह मेरे कान में प्रवेश करती है, तो मेरा दर्द इतना असहनीय होता है कि मैं पागल हो जाता हूँ।”

शेर ने हाथी की बात सुनकर समझा कि मोर मुझे चींटी की तरह परेशान नहीं करता है।

ईश्वर ने सभी प्राणियों को अलग-अलग क्षमताएं और गुणधर्म दिए हैं।

इसलिए, सभी प्राणी अपनी अद्वितीयता के साथ ताकतवर या कमजोर हो सकते हैं।

शेर को यह समझ में आया कि वे जैसे ताकतवर जानवरों में भी कमियां हो सकती हैं।

इससे शेर की खोई हुई स्वाभाविक आत्मविश्वास की पुनरुद्धार हुई और उन्होंने मोर के प्रति ईर्ष्या छोड़ दी।

हाथी और शेर की कहानी से सिख :

हाथी और शेर की कहानी ( HATHI AUR SHER KI KAHANI) से सिख मिलती है की हमे व्यर्थ की चिंता नहीं करनी चाहिए।

हर व्यक्ति को अपनी समस्या में है।

आप से भी अधिक लोग है जिन्हे जीवन में बहुत सी तकलीफे है।

अगर आपको इस बात को आभास होगा जैसे शेर को हुआ तो आप स्वयं की खुश पाओगे.

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