Cinderella Ki Kahani | सिंड्रेला की कहानी

एक शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसकी प्रिय बेटी, जिसका नाम प्यार से ‘एला’ रखा गया था, बहुत सुंदर थी। एला के पिता उसे बेहद प्यार करते थे और उसे खुश रखने के लिए सबकुछ करने को तैयार थे।

हालांकि, एला अपने पिताजी के साथ रहकर भी दुखी रहती थी।

क्योंकि उसे यह विचार था कि अगर मां उसके साथ होती तो वे दोनों और भी खुश रहते। इस भावना के साथ उसे बहुत रोना पड़ता था।

Cinderella Ki Kahani

एला (सिंड्रेला ) पिताजी नाराज हो जाते थे । इसके कारण और इसी नाराजगी के चलते उन्होंने दूसरी शादी कर ली। लेकिन सौतेली मां बहुत कठोर स्वभावी थीं और वे एला के साथ बिल्कुल सही नहीं रहती थीं।

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उसकी सौतेली बहनें भी दिखने में बदसूरत थीं और वे एला के साथ झगड़ती रहती थीं।

एक बार, एला के पिताजी को काम के लिए बहुत दिनों के लिए शहर जाना पड़ा।

इस समय, सौतेली मां और उसकी बेटियां एला ( सिंड्रेला) को बहुत तंग करतीं। एला को वे नौकरानी की तरह काम करवातीं और अपने दो बेटियों को अच्छे अच्छे कपड़े पहनातीं, जबकि उसे बहुत गंदे फटे हुए कपड़े पहनातीं।

जब एला (सिंड्रेला ) रात को सोती थी, तो वह अंगीठी के पास ही सोती थी। जब वह सोते समय अंगीठी की राख छिटककर उसके चेहरे पर लग जाती थी।

Cinderella Ki Kahani | सिंड्रेला की कहानी

इस बात के कारण, उसे सौतेली मां के दो बेटियों ने उसे ‘सिंड्रेला’ नाम से चिढ़ाना शुरू कर दिया। सिंड्रेला को इंग्लिश में ‘राख’ कहा जाता है। धीरे-धीरे वे उसे इस नाम से चिढ़ातीं रहीं।

एक दिन, प्रदेश के राजा ने एक बड़े भव्य दरबार का आयोजन किया और सभी को बताया कि दरबार में आने वाली लड़कियों में से एक को चुनकर उससे विवाह कर लेगा। यह सुनकर गांव की लड़कियां प्रसन्न हो गईं।

सौतेली मां ने एला (सिंड्रेला ) को भी देखने के लिए कहा। उसने अपने दो बदसूरत बेटियों के लिए बहुत अच्छे-अच्छे कपड़े मंगवाए लेकिन सिंड्रेला के लिए नहीं मंगवाए। एला बहुत खुश थी, लेकिन जब राजदरबार जाने का समय आया, उसकी सौतेली मां ने उसे जाने से मना कर दिया।

उसे धमकाकर कहा कि वह राजदरबार में जाएगी तो उसका अंजाम बहुत खराब होगा।

उस रात, वह अपने फटे-पुराने कपड़ों में और अपने प्रिय चूहे-चिड़ियों के साथ बैठी थी। बहुत रो रही थी और उसे अपनी असली मां की याद आने लगी। उसके दिल में कई सवाल थे, लेकिन जवाब नहीं थे। थक जाने के बाद, वह अंगीठी के पास सो गई।

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जब वह सोती हुई थी, तो जादुई परी उसके पास आकर उसे सुंदर बना दिया। उसके पुराने कपड़े नए हो गए, कद्दू बग्गी बन गया, दो चूहे घोड़े बन गए और चिड़िया कोचवान बन गई। जूते के जगह उसे खूबसूरत कांच के जूते दिए गए।

उसे वह जादुई परी इतनी सुंदर बना देती है, कि उसकी कोई सीमा नहीं। अब वह कहती हैं कि जल्दी से जाओ लेकिन ख्याल रहे १२ बजे आपकी सब शक्तिया चली जाएगी इसलिए १२ बजे के पहले घर आजाना ।

सिंड्रेला जैसी वहां पहुंचती है तो राजा उसे देखते ही रह जाता है और प्रेम हो जाता है।

सिंड्रेला की खूबसूरती में खो जाता है। उसने जब सिंड्रेला से उसका नाम और पता पूछा, तब पहले ही 12:00 बज चुके थे, इसलिए सिंड्रेला वहां से तुरंत छूमंतर हो जाती है।

राजा भी सिंड्रेला के पीछे भागा पर वह हाथ नहीं आई। सिंड्रेला का एक कांच का जूता नीचे गिर गया था, तो राजा ने उठाया और अपने पास रख लिया। दूसरे दिन पूरे प्रदेश में एलान कर दिया कि जूता जिसके पैर में फिट होगा, उससे ही शादी कर लूंगा।

उस राजा को सौतेली मां ने घर बुलाया। अपने दो बेटियों को अच्छे से तैयार कर के राजा के सामने पेश किया और कहा कि आप इन्हें यह जूता पहनाएं। जूते पहन रहा था, लेकिन उनके पैरों पर वह जूते नहीं आए।

राजा बहुत ही बेचैन हो गया था, उसे सिंड्रेला का चेहरा ही उसके दिमाग में घूम रहा था। क्योकि सिंड्रेला को डर था की सौतेली ने मना किया था। अचानक उसकी नजर अंदर एक खूबसूरत लड़की पर पड़ी, जो राजा को चुपकर देख रही थी।

उसे घबराई हुई थी cinderella ki kahaniyan cinderella ki kahaniyan

राजा के मन में और दिल में पूरी तरह से उलझन थी। जब राजा ने उस लड़की (सिंड्रेला ) को देखा तो वह प्रसन्न हो गया और उसे पता चल गया कि यही सिंड्रेला है। उसने उसे बुलाकर उसे जूते पहनाएं और जूते उसके पैरों पर अच्छी तरह से फिट हो गए।

राजा को उसकी पसंदीदा राजकुमारी मिल गई। सिंड्रेला ने अपने मन में परी का बहुत ही आभार व्यक्त किया।

इस दृश्य को देखकर सौतेली मां और उसकी बेटियां जलकर राख हो गईं। सिंड्रेला, राजकुमार और उसके प्यारे चूहे और चिड़िये मग्न से नाचने लगे।

सिंड्रेला ने अपने जीवन दुख और दर्द से निकालकर खुशी और सुख में परिवर्तित कर दिया।

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