भगवत गीता अध्याय २ श्लोक ३ – नकारात्मक विचारधारा का त्याग
आज हम छोटे से उद्धारहण से समझेगे की त्याग का मतलब भगवत गीता में क्या कहा गया है ! त्याग का असली मतलब समझना है तो आप को पूरे भगवत गीता को समझना होगा !
आज अधिकतर को लगता है की त्याग यानी सन्यास !
- हिमालय चले जाना!
- दुनिया से संपर्क समाप्त कर देना !
- संसार की मोह माया से दूर रहें रहना !
भगवत गीता अध्याय २ श्लोक ३
अध्याय २ : गीता का सार
श्लोक ३
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते |
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्तवोत्तिष्ठ परन्तप || ३
अनुवाद –
हे पृथापुत्र! इस हीन नपुंसकता को प्राप्त मत होओ | यह तुम्हेँ शोभा नहीं देती | हे शत्रुओं के दमनकर्ता! हृदय की क्षुद्र दुर्बलता को त्याग कर युद्ध के लिए खड़े होओ |
पर भगवत गीता में त्याग पर जोर देते हुए कहा है को हमे हमारे दुर्गुणो का त्याग करना है जैसे क्रोध, लालच, स्वार्थ और इत्यादि विचारधारा जो समाज में अशांति पैदा करे !
भगवत गीता में मैं कहा गया है कि क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं हमारे हृदय की क्षुद्रंता को त्यागना क्षुद्रंता यानी निर्बलता की मैं नहीं कर सकता, नहीं हो सकता, नकारात्मक विचारधारा का त्याग कैसे करना उसके बारे में वर्णन किया गया है !
और बात रही हिमालय जाना, सन्यास लेना , परिवार से दूर , समाज से दूर , संपर्क कम कर देना यह सब कायरता की निशानी है ना की त्याग का उदहारण !
भगवत गीता में इस बात पर भी जोर डाला है की, हम जो भी है जीवन जी रहे हैं, वह हमें जीवन कैसे जी सकते है चाहे वह सामाजिक हो या राजकीय हो, पारिवारिक हो या फिर आर्थिक !
सभी पहलुओं को सही तरीके से कैसे संतुलन करना और साथ ही सही दिशा में कार्य करने के बारे में कहा गया है ! इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता को मानव ग्रंथ कहा गया है तो हर मनुष्य के लिए लागू है !
जीवन जीने की कला का संपूर्ण ज्ञान श्रीमद्भगवद्गीता गीता में है !
पढ़े – महापुरुष रामकृष्ण परमहंस का प्रेरक प्रसंग – श्रीमद भगवत गीता ( त्याग )
निष्कर्ष :
अर्जुन जब अपनी नकारात्मक विचारधारा की में युद्ध नहीं लडूगा, में नहीं कर सकता हु ! ऐसे विचारधाराओ में जकड गया था तब भगवान कृष्ण ने एक पॉजिटिव विचारधारा का निर्माण किया और नकरात्मक विचारधारा को त्यागने का आव्हान दिया !
पहले अध्याय में अर्जुन युद्ध लड़ने से इंकार करता है तब पर अंतिम अध्याय में अर्जुन कहता है में युद्ध के लिए अब तैयार हु !
अगर आप भी भगवत गीता को पूरा पढोगे तो अवश्य भौतिक जीवन में जो भी कठिनाइया है उससे सामना करने की शक्ति मिलेगी !
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