ब्राह्मण की कहानी – राक्षस और चोर
ब्राह्मण की कहानी ( प्रस्तावना ) –
विपरीत परिस्थिति में वाद विवाद से बचिए । समझदारी से निर्णय लीजिए ।
अगर आप योजना के अनुसार कार्य करोगे तो वह कार्य सफल हो जाएगा।
अगर आप योजना के अनुसार कार्य नहीं करोगे तो आप असफल हो जाओगे।
ब्राह्मण की कहानी – राक्षस और चोर
एक गांव में मोतीलाल नाम का ब्राह्मण रहा करता था । वह बहुत ही प्रसिद्ध ब्राह्मण था।
उसकी सेवा भाव देखकर सभी नगर वाले उससे काफी पसंद करते थे ।
गांव के धनी व्यक्ति ने सोचा कि मैं इस ब्राह्मण को एक गाय दे देता हूं ।
ब्राह्मण को अनगिनत दूध मिलेगा जिससे उसका शरीर मजबूत होगा।
मोतीलाल खुशी-खुशी गाय को अपने घर ले आता है। उस नगर के चोर को इस बात की दस्तक मिल जाती है कि ” मोतीलाल ब्राह्मण को एक गाय भेट हुईं है।”
वह चोर रातों-रात गाय को चोरी करने के लिए रवाना हो जाता है ।
उस चोर को रात में एक राक्षस दिखाई देता है। राक्षस कहता है, ” मैं तुझे खा जाऊंगा।”
चोर डर के मारे कहता है , ” आप मुझे मत खाइए। मैं एक गाय को चोरी करने जा रहा हूं। वहां एक ब्राह्मण रहता है आप उसे अपने भोजन का शिकार बना लीजिएगा।
राक्षस उस की बात मान लेता है । राक्षस और चोर दोनों ही उस ब्राह्मण के घर जाते हैं । दोनों में बहस छिड़ जाती है।
चोर कहता है कि “पहले गाय को मैं चुरा लूंगा । ” उसके बाद आप ब्राह्मण को अपना भोजन का शिकार बना लेना।
राक्षस कहता है कि, “पहले मैं ब्राह्मण को खाऊंगा उसके बाद गाय को चुरा लेना।”
दोनों की इसी बात को लेकर आपस में जंग छिड़ गई।
इन दोनों के वाद विवाद के कारण भ्रमण की नींद टूट गई। ब्राह्मण ने जैसे दोनों को देखा उसने जोर से हाहाकार मचा कर पूरे नगर वासियों को बुला लिया ।
नगर वाले हाथों में हथियार और डंडा लेकर ब्राह्मण की रक्षा करने के लिए उसके घर के बाहर आ गए।
परिस्थिति इतनी भयानक हो गई कि राक्षस और चोर दोनों बड़ी मुश्किल से रफूचक्कर हो गए।
ब्राह्मण की कहानी से सिख –
स्वयं के फायदे का अधिक नहीं सोचिए ।
कोई भी कार्य करने से पहले उसकी योजना बना लीजिए।