जीवन मूल्य पर कहानी

परिचय : जीवन मूल्य पर कहानी

जीवन में जब भी आपको लगे कि आपकी कोई वैल्यू नहीं करता है, आपको निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि इंसान की मूल्यवानता किसी दूसरे पर निर्भर नहीं करती है। जीवन का मूल्य समझने के लिए, आपको यह कहानी अवश्य पढ़नी चाहिए।

यह जीवन मूल्य पर कहानी है एक समय की, एक गांव की, जहां एक गरीब किसान बबलू नामक आदमी रहता था। वह अपने जीवन से काफी परेशान और दुखी था, और वह सदैव अपने जीवन को कोसता रहता था। साथ ही, वह अपने आस-पास के लोगों को भी कोसता रहता था।

जीवन मूल्य पर कहानी

क्योंकि कोई उसकी इज्जत नहीं करता था और उससे ठीक से बात नहीं करता था।

लेकिन कुछ लोग बबलू को पसंद किया करते थे। जैसे कि उसके परिवार वाले और उसका मित्र बंटी। लेकिन बबलू को गांव के सभी लोगों से मान-सम्मान की आशा थी, जो उसे नहीं मिलती थी।

इस बात से बबलू दुखी रहता था। बबलू का मित्र बंटी कई बार उसे समझाता था कि जरुरी नहीं है कि सब तुमको पसंद करें या तुम्हारा सम्मान करें, इसलिए उदास न हो।

परन्तु बबलू को अपने मित्र बंटी की बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था, और वह उदास ही रहता था। बंटी को समझ आ गया था कि बबलू को समझाना इतना आसान नहीं है। निश्चित ही किसी और की सहायता से ही बबलू को समझाया जा सकता है। अतः बंटी अपने दोस्त बबलू को लेकर एक सिद्ध महात्मा के पास गया।

जीवन मूल्य पर कहानी

जिनके बारे में उसने सुना था कि वह हर समस्या का समाधान कर सकते हैं।

बंटी और बबलू महात्मा के पास पहुचे, तो महात्मा ने बबलू या बंटी की कोई बात सुने बगैर ही बबलू को अपने कमंडल से निकालकर एक चमकदार पत्थर दे दिया और कहा कि इस पत्थर की असली मूल्य क्या है ? पता करो और बताओ।

बबलू और बंटी ने महात्मा को प्रणाम किया और वह से चले गए। सबसे पहले बबलू ने वह चमकदार पत्थर एक सब्जी बेचने वाले को दिखाया और उस पत्थर की मूल्य पूछी, सब्जी बेचने वाले ने कहा, “यह तो काफी अच्छा पत्थर लगता है, मैं इसके बदले में तुम्हें 1 किलो टमाटर दे सकता हूँ।” बबलू ने पत्थर वापिस लियाऔर आगे चल दिया।

फिर बबलू फल वाले के पास गया और पत्थर की मूल्य पूछी, तो फल वाले ने कहा कि मैं इस पत्थर के बदले तुम्हें 2 दर्जन केले दे सकता हूँ।

बबलू फिर आगे चल दिया, उसे एक कपड़े का व्यापारी दिखा, बबलू ने उसे भी वह पत्थर दिखाया जिसके बदले कपड़े के व्यापारी ने उसे 2 साड़ी, 2 कुर्ता-धोती और 1 रजाई और कम्बल देने की बात कही।

बबलू को लगा कि यह तो अब तक की सबसे ज्यादा मूल्य है, लेकिन इसे बेचा नहीं जा सकता है, तो वह पत्थर वापिस लेकर आगे बढ़ गया।

आगे चलकर बबलू को एक सोने-चांदी का काम करने वाला सुनार मिला। जिसे बबलू ने महात्मा का दिया हुआ पत्थर दिखाया, तो सुनार की आंखों में अजब सी चमक आ गई।

उसने कहा कि तुम्हें यह शानदार और चमकदार पत्थर कहाँ से मिला, यह तो बहुत ही शानदार और अनोखा है।

यह सुनते ही बबलू ने जौहरी से इस रूबी की मूल्य पूछी, तो जौहरी ने कहा कि यह तो बेमोल और अनमोल रूबी है, इसकी मूल्य कितनी हो सकती है, यह तो बताना मुश्किल है।

इस अद्भुत रूबी की मूल्य जानना संभव ही नहीं लगता है।

इस पर बबलू ने पत्थर वापिस लिया और महात्मा के पास पहुँचा। महात्मा को उसने सब कुछ बताया, कि वह कब किसके पास गया और किसने कितनी कीमत बताई। साथ ही, बताया कि यह पत्थर अनमोल है।

जिसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता। महात्मा ने कहा, “तुम बेवजह ही परेशान हो रहे हो, जैसे कि तुमने देखा कि जो पत्थर मैंने तुम्हें दिया। सबने अपने-अपने मतलब, बुद्धि, ज्ञान, और समझ से अलग-अलग मूल्य बताई, ठीक वैसे ही तुम और तुम्हारा जीवन एक बेमोल और अनमोल रूबी है। जिसकी मूल्य हर कोई समान नहीं आंक सकता है।”

जीवन मूल्य पर कहानी से सिख :

हमारे जीवन का मूल्य अपने परिवार और अपने चाहने वालो को पूछो. ऐरा गेरा नत्थू ऐडा को की बात से स्वयं को जज करोगे तो मुर्ख हो।

जीवन मूल्य पर कहानी से पता चलता है, मनुष्य जीवन ही अपने आप में मूलयवान है इसलिए निराश न रहो और हमेशा खुश रहो।

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