अहंकार पर कहानी – अहंकारी बालक

अहंकार पर कहानी

परीचय :

यह अहंकार पर कहानी है. एक समय ऐसा आता जब इंसान खुद को भगवन समझने लगता है। यह सिलिसिला तब तक चलता है जब तक उसे कोई बताने वाला न हो की भाई जी थोड़ा ठण्ड रख।

घमड़ और अहंकार दुर्गुण व् बड़ा रोग है। अभिमान विनाश का कारण है और अभिमानी व्यक्ति अपने अभिमान से अपना आदर भी खो देता है।

अहंकार पर कहानी -

एक बार, विद्यालय की शिक्षा समाप्त करके वापस आया एक युवक, और उसे अपने ज्ञान पर गर्व हो गया। वह आने जाने वालों के साथ न किसी को अभिवादन करता, और न ही सत्कार करता।

उसमें अहंकार था कि वह सब कुछ सीख लिया है। इस युवक के पिता बुद्धिमान थे और उन्होंने समझ लिया कि यदि उनके बेटे को अहंकार से उबारा नहीं गया, तो उसका विकास रुक जाएगा।

वह जानते थे कि एक दिन उनका बेटा अपने अहंकार का परिणाम भुगतेगा। इसलिए, एक दिन पिता ने घर से थोड़ी सी चीनी ली और उसे धूल में मिलाकर एक कोने में छिपा दिया।

पिता के जाने के बाद, परिवार के छोटे बच्चे सोचे कि धूल से चीनी को निकालकर खाना चाहिए, पर समस्या थी कि धूल से चीनी के रस्से निकालना कठिन था।

लड़के ने यह सोचा कि उनके बड़े भैया जानते होंगे कि ऐसी कोई विद्या होगी जिससे चीनी को धूल से अलग किया जा सकेगा। वे छोटे बच्चे बड़े भैया के पास गए, पर बड़े भैया उनकी मासूमियत पर हंसते हुए उनके अहंकार को दिखाते हैं। हार कर, युवक वहाँ से भाग गया और शाम तक किसी को दिखाई नहीं दिया।

सायंकाल पिताजी लौटे और देखा कि धूल के ढेर से सारी चीनी गायब थी। पिता ने छोटे बच्चों को बुलाया और डांटकर पूछा, “इसकी चीनी कौन निकाल ले गया?” लड़कों ने कहा, “पिताजी, चीनी तो सब चींटियों ने ले ली।” युवक इसे सुनकर हैरान रह गए।

वह समझ गए कि जो काम वह घंटों की मेहनत के बाद नहीं कर सका, वह चींटियां कितनी आसानी से कर गईं। सब उसके अहंकार की चुट्कुला बनाते हुए हँसते और उसे समझाते कि अहंकार अच्छाई की ओर बढ़ने में बाधक हो सकता है।

उसे यह भी सिखाया कि चींटियों जैसे साधन से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।

अहंकार कहानी से सिख

अहंकार कहानी से सिखअहंकार इंसान की आखो पर अँधेरा ला लेता है. इसलिए जब व्यक्ति के पास पद, प्रतिष्ठा, पावर, पैसा आता है तो स्वभाव भी बदलता है.

जो व्यक्ति अंधकार में डूबा है वह एक दिन अवश्य ही ठोकर खाता है।

अहंकार पर कहानी – जिज्ञासु राजा

परीचय : यह कहानी अहंकार पर लिखी गई कहानी है। जब इंसान अहम् छोड़ देता है तब वह स्वयं को व् परमात्मा को भी प्राप्त कर लेता है।

अहंकार पर कहानी से पता चलेगा की अहंकार का त्याग कितना आवश्यक है।

एक समय की बात है, एक राजा था। वह अपने नाम, धन और सारे सुखों का आनंद लेता था। लेकिन एक दिन, उसके मन में एक सवाल उठा – क्या धन और सुख ही जीवन का अंतिम लक्ष्य हो सकते हैं? वह यह जानने का निर्णय लेता है कि अब वह परमात्मा की खोज करना चाहता है।

राजा एक आश्रम में गया और वहां के संत से मिला। उसने अपनी चिंताओं को संत के सामने रख दिया। संत ने मुस्कराते हुए कहा, “परमात्मा को पाना बहुत आसान है, लेकिन इसके लिए तुम्हें अपने अहंकार को छोड़ना होगा।”

अहंकार पर कहानी



राजा ने संत के सब्बल के अनुसार किया। उसने अपने राज्य को त्याग दिया और अपनी सारी संपत्ति को गरीबों में बांट दिया। वह अब एक साधक की तरह जीने लगा, लेकिन फिर भी परमात्मा को पाने में सफल नहीं हुआ।

कुछ दिनों बाद, राजा ने फिर से संत के पास जाकर प्रश्न किया। संत ने उससे कहा, “तुमने तो सब कुछ छोड़ दिया है, लेकिन अब तुम्हारा अहंकार भी छोड़ दो।”

अहंकारी राजा की कहानी

राजा ने संत की सलाह मानी और कुछ दिनों तक आश्रम के कामों में लग गए। यह काम बड़े कठिन थे, लेकिन उसने इन्हें भली-भांति पूरा किया।

कुछ दिनों बाद, राजा ने फिर संत के पास जाकर खुद को सबकुछ छोड़कर बताया। संत ने मुस्कराते हुए कहा, “अब तुम परमात्मा के पास पहुंचने के लायक हो, क्योंकि तुमने अपने अहंकार को छोड़ दिया है।

सत्य को पाने के लिए हमें खुद को छोड़ना पड़ता है, क्योंकि जब तक हमारे अहंकार में अहंकार होता है, हम परमात्मा को पूरी तरह से नहीं पा सकते।”

अहंकार पर कहानी से पता चलेगा की अहंकार का त्याग कितना आवश्यक है।

अहंकार कहानी से शिक्षा

अहंकार कहानी से सिख – अहंकार पतन का कारण है. अहंकार को छोड़कर फिर भी प्रभु नहीं मिले. इस कहानी से पता चलता है की हमे स्वाभमानी बनना है अभिमानी नहीं।

जीवन में सब कुछ त्याग नहीं करो चलेगा लेकिन अहंकार का त्याग करो अगर प्रभु को पाना है।

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