नैतिक शिक्षा पर छोटी कहानी – अभिमान

परिचय :

नैतिक शिक्षा पर छोटी कहानी – जीवन में अभिमान नहीं करना चाहिए. कोई इंसान कब आपके काम आएगा आपको पता नहीं है इसलिए सबसे नम्रता से पेश आना चाहिए एक गांव में एक पंडित आवास करते थे।

उन्हें उनके व्याकरण ज्ञान पर गर्व था, और वे इसे अपने अभिमान का सबूत समझते थे। उनकी आदत थी कि जब भी वे किसी से मिलते, तो वे उन्हें अपने व्याकरण के ज्ञान के बारे में बताते रहते थे।

नैतिक शिक्षा पर छोटी कहानी

एक दिन, उन्हें दूसरे गांव जाने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने नदी के किनारे जाकर एक नाव में बैठ लिया। नाविक ने नाव को डालकर संभालना शुरू किया। जैसे ही पंडित ने नाविक से पूछा कि क्या उसने व्याकरण पढ़ा है, तो नाविक ने उत्तर दिया, “नहीं पंडित जी, मुझे पढ़ा-लिखा नहीं है। मेरा परिवार पीढ़ियों से नाव चलाता है।”

नैतिक शिक्षा पर छोटी कहानी

पंडित ने उसे नीचा दिखाने का प्रयास किया और बोला, “आपके जैसे अवगुणी लोग ही हमारे समाज को पीछे ले जाते हैं।”

नाविक को यह शब्द सुनकर बहुत दुख हुआ, लेकिन उसके पास कोई उत्तर नहीं था। वह चुप रहने लगा और नाव खेने में जुट गया।

धीरे-धीरे, नाव मझधार में पहुंच गई और तूफान आने लगा। पंडित डर से कांप रहे थे। तब नाविक ने उससे पूछा, “क्या आपको तैरना आता है?”

पंडित ने आत्मविश्वास हार दिया और कहा, “नहीं, मुझे तैरना आता नहीं है।”

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नाविक ने मुस्कुराते हुए कहा, “तब तो आपका व्याकरण का ज्ञान भी व्यर्थ है, क्योंकि नाव अब डूबने वाली है और आप तैरने के बिना उसे बचा नहीं सकते।”

पंडित का अभिमान सचमुच टूट गया। उन्हें अब समझ में आ गया कि अपने ज्ञान पर अभिमान करना गलत था।

बाद में, नाविक ने पंडित की मदद की और नाव को बचाया। पंडित ने समझा कि जीवन में हमें अपने गुणों पर अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि गुणों का असली मायना उनके प्रयोग में होता है।

नैतिक शिक्षा पर छोटी कहानी से सिख :

सीख: हमें हमारे गुणों पर अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि गुणों का सच्चा मायना उनके अच्छे और सही उपयोग में होता है।

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