चतुर कौआ की कहानी – नक़ल

परिचय :

जीवन में सभी  एक दसूरे से अलग है. दुसरो के जैसा बनकर कुछ मतलब नहीं है. इस कहानी से पता चलेगा की कॉपी पेस्ट करोगे तो मुँह के बल गिरोगे।

चलो शुरू करते है, चतुर कौआ की कहानी जिससे पता चलेगा जी व्यक्ति ज्यादा चालाकी या नक़ल करता है उसका क्या हाल होता है।

चतुर कौआ की कहानी

चतुर कौआ की कहानी

एक पहाड़ी चोटी पर एक गरुड़ अपना आवास बनाये हुए रहता था। उसी पहाड़ी की तलहटी में एक विशाल वृक्ष खड़ा था, और उस वृक्ष पर एक कौआ अपना घर बनाये हुए रहता था।

तलहटी के आसपास के गांवों में पालकी पशु बकरियों का देखभाल करने वाले लोग रहते थे। जब उनके साथ मेमने भी होते तो गरुड़ अक्सर उनको शिकार के रूप में पकड़ लेता था।

एक दिन, एक कौआ ने यह देखकर उसे प्रेरित हो गया कि वह भी गरुड़ की तरह हवाओं में उड़ सकता है। वह सोचा, “अगर गरुड़ यह सब कर सकता है तो मैं क्यों नहीं?”

उसने भी ज़ोरदार उड़ान भरी और हवाओं में ऊपर उड़ने लगा। उसकी ऊँचाई बढ़ती गई और वह आसमान की ओर बढ़ता गया। फिर वह तेजी से नीचे आने लगा, जैसे गरुड़ की तरह एक झपट्टा मारने की कोशिश कर रहा हो। लेकिन उसके पास हवाओं में गरुड़ की तरह जिम्मेदारी का अभ्यास नहीं था, इसलिए उसने एक चट्टान से टकराया। उसका सिर टूट गया, चोंच टूट गई, और थोड़ी देर में उसकी मृत्यु हो गई।

चतुर कौआ की कहानी से सिख :

कहानी से मिलने वाले सिख: हमें हमारी अपनी स्थिति, क्षमता और योग्यता को समझना चाहिए और बिना विचार के किसी की नकल नहीं करनी चाहिए।

चतुर कौआ की कहानी सबसे चतुर

एक पेड़ पर एक कौआ रहता था।

वह समझता था कि वह सभी जानवरों और पक्षियों में सबसे बुद्धिमान व् चतुर है।

उसी पेड़ पर एक उल्लू भी रहता था और वह भी यह समझता था कि वह सबसे ज्यादा बुद्धिमान और चतुर है।

वे हमेशा इस बात पर झगड़ते थे और उनकी दोस्त एक छोटी-सी चिड़िया उनके बीच में सुलह कराती थी।

एक बार जब उनके बीच झगड़ा शुरू हुआ, तो चिड़िया ने कहा, ‘आज तुम दोनों इस बात का निर्णय क्यों नहीं करते कि कौन ज्यादा बुद्धिमान है?’

कौआ और उल्लू दोनों एक साथ बोले, “ठीक है, हम तैयार हैं।

लेकिन कैसे?’

chatur kauwa kahani in hindi

चिड़िया ने कहा, ‘तुम दोनों एक साथ उड़ो और खाने की कोई चीज़ ढूंढ़कर लाओ।

जो पहले वापस आएगा, वह जीत जाएगा।’

चिड़िया की बात पूरी होते ही कौआ जल्दी से उड़ गया और पास के गाँव में पहुँच गया।

वहाँ से रोटी का बड़ा-सा टुकड़ा लेकर तुरंत वापस भी आ गया।

chatur kauwa ki kahani

उल्लू तो अभी भी आंखें बंद करके सो रहा था।

कौआ वापस आया और उसने उल्लू से कहा, ‘देखो, मैं वापस आ गया और तुम अभी भी सो रहे हो, अब मान लो कि मैं ही ज्यादा बुद्धिमान हूँ।

‘ आलसी उल्लू ने आसानी से मान लिया कि कौआ उससे ज्यादा अच्छा है और फिर से सो गया।

अब कौआ एक ऊँची डाली पर जाकर बैठ गया उस रोटी को खाने के लिए जो वह ढूंढ़कर लाया था।

तभी पेड़ के नीचे एक लोमड़ी आई। वह बोली, ‘कौए भाई, नीचे आ जाओ, हम दोनों इस रोटी को बाँटकर खाएँगे?’

कौआ ने अपनी चोंच में रोटी पकड़ी हुई थी, इसलिए उसने गर्दन हिलाकर ‘ना’ बोल दिया।

लोमड़ी बहुत चालाक थी। वह बोली, ‘मेरे प्यारे कौए, तुम्हारे चमकदार और काले पंख कितने सुंदर लगते हैं, जिसके पंख इतने सुंदर हैं उसकी आवाज कितनी मीठी होलोमड़ी वाकई चालाक थी। वह बोली, ‘मेरे प्यारे कौए, तुम्हारे शानदार काले पंख कितने सुंदर लगते हैं, और उनकी आवाज इतनी मिठास से भरपूर होगी।

chatur kauwa ki kahani in hindi

मुझे तुम्हारी मीठी आवाज सुननी है, क्या आप कुछ गाकर सुना सकते हैं?’

उसकी खुशी से कौआ बहुत खुश हो गया और वह यह भूल गया कि उसकी चोंच में एक टुकड़ा रोटी फंसा था।जैसे ही उसने अपनी चोंच खाली की, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर पड़ा और लोमड़ी ने उसे तुरंत पकड़ लिया।

ऐसा होते ही, कौए को यह अंदाजा हो गया कि कोई ऐसा है जो उससे भी अधिक चालाक है।

चतुर कौआ की कहानी से सिख :

chatur kauwa kahani – जीवन में एक से बढ़कर बुद्धिमान व्यक्ति है इसलिए अभिमान न करे

चतुर कौआ की कहानी की अन्य कहानिया पढ़े

प्यासा कौवा की कहानी

चतुर कौआ की कहानी से सिख :

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *