महापुरुष वरदराज की प्रेरक कहानी – निरंतर प्रयास

महापुरुष वरदराज की प्रेरक कहानी – निरंतर प्रयास

 

प्राचीन काल समय की बात है जब विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे।

उस समय बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था।

बच्चे गुरुकुल में गुरु के साआश्रम की देखभाल किया करते थे और अध्ययन भी मन से किया करते थे।

 

महापुरुष वरदराज की प्रेरक कहानी

वरदराज का भी गुरुकुल जाने का समय आ गया था । वहां आश्रम में अपने मित्रो के साथ घुल गया जैसे पानी में शक्कर तुरंत घुल जाती है ।

लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही ज्यादा ही कमजोर था ।

गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में कभी नहीं आती ।

इस कारण के वजह से सभी उसका मजाक बनाते|

उसके मित्र सब आगे की कक्षा में चले गए पर वदराज़ पढाई में कमजोर होने के कारन आगे नहीं बढ़ पाया|

गुरुजी जी ने भी परेशान हो गए और उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है।

अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो।

अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में सहयोग दो|

वरदराज ने भी विचार किया की गुरूजी ने जो भी कहा वो सही है शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं हैं।

दुखी मन से गुरुकुल से निकल गया।

धुप में गंभीर विचार करते करते चल रहा था।

वह वदराज़ को प्यास लगी तब वह उधर देखने पर उसने पाया कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएं मजे से कुएं से पानी भर रही थी।

वह कुएं के समीप गया।

वरदराज ने देखा की पत्थरों पर रस्सी के आने जाने से बहूत सारे निशान बने हुए थे| तो उसने महिलाओ से पूछा, “यह निशान कैसे बने ।”

तो एक महिला ने हस्ते हुए जावब दिया,“ यह निशान हमने नहीं बनाएं।

हम रोज पानी भरते है तो रस्सी हमेशा पत्थर पर घिसती है उसके कारण निशान बन गया 

वरदराज का यहाँ से जीवन दृश्टिकोण बदला

वरदराज जवाब सुनते ही विचार में पड़ गया।

उसने विचार किया कि जब एक कोमल रस्सी के बार-बार आने जाने से एक ठोस पत्थर को भी बदल सकती है तो निरंतर अभ्यास से में भी बदल सकता हु |

वरदराज खुशी – खुशी से गुरुकुल के पास आया और अपने गुरूजी को कहा की मैं निरंतर अभ्यास करुगा और में अपने आप को बदल कर दिखाऊगा।

गुरुजी को ने भी खुश होकर भरपूर वदराज़ का सहयोग किया।

देखते देखते जिसे मंदबुद्धि बालक कहते थे।

वह वरदराज आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना। जिसने लघुसिद्धान्‍तकौमुदी, मध्‍यसिद्धान्‍तकौमुदी, सारसिद्धान्‍तकौमुदी, गीर्वाणपदमंजरी की रचना की|

शिक्षा (Moral):

दोस्तो, निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी है|

आज हमारे में जो भी कमी हो अगर वो आपकी कमजोरी है तो यह कहानी आपके लिए है।

आज इसी वक़्त मन में ठान लो की चाहे कुछ भी हो जाये में अपने आप पर काम करुगा और कमजोरी को प्रयास के माध्यम से खतम करेंगे। निरंतर प्रयास ही हमारा जीवन बदल सकता है|

 

 

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2 Responses

  1. August 25, 2023

    […] ईमानदारी से प्रयत्न की जीत कहानी […]

  2. September 9, 2023

    […] जीवन आधारित मोटिवेशनल कहानी […]

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