छोटी सीख वाली कहानी
छोटी सीख वाली कहानी – मुर्ख भाई
एक गांव में दो भाई प्रीत और गीत रहते थे। उनके पास एक गधा भी था। एक दिन गीत ने अपने भाई प्रीत से कहा, “भाई, मैं शहर जाकर गाजर लेकर आना चाहता हूँ।
क्या आप अपने गधे को मुझे उधार दे सकते हैं?”
प्रीत और गीत के कहा ” हा,आप लेकर जा सकते हो और मैं भी चलता है।
फिर दोनों भाइयों ने गधे के साथ यात्रा की शुरुआत की। रास्ते में गर्मी बहुत बढ़ गई गीत ने विचार किया कि गजर के पेड़ की छाया में बैठना बेहतर होगा।
फिर एक आदमी आया जिसने देखा कि गधे की पीठ पर रसीली गाजरें बंधी हुई हैं।
उसने दोनों भाइयों से पूछा, “आप यहाँ क्या कर रहे हैं?”
प्रीत ने उत्तर दिया, “हम इस गधे के साथ यात्रा कर रहे हैं और उसकी पीठ पर गाजरें बंधी हुई हैं।”
उस आदमी ने कहा आप में से कोई एक गाजर और गधे के छाव में बैठ जाओ । दोनो भाई में बहस हुई और मैं बठुगा – मैं बठुगा। इस बहस का फायदा तीसरे व्यक्ति गधा व् गाजर दोनों लेकर रफूचक्कर हो गया।
छोटी सीख वाली कहानी से शिक्षा : तीसरे व्यक्ति की बात सुनकर घर में तांडव नहीं करना चाहिए। क्योकि तीसरे व्यक्ति का मकसद ही होता है अपनों में आग लगाना है इसलिए जीवन में एकता व् समझदारी से रहिये
छोटी सीख वाली कहानी – बुद्धिमान राजा
एक दिन, एक राजा को एक सपना आया। सपने में एक अच्छे दिल वाले साधु आए और बताया कि कल रात को एक सांप उन्हें काटेगा। साधु ने बताया कि यह सांप एक पेड़ के नीचे रहता है । वह उनसे पूर्व जन्म की दुश्मनी का परिणाम लेना चाहता है।
राजा ने सपने के बाद तय किया कि वह सांप से अच्छे से बर्ताव करेगा ताकि उसका मन बदल सके। शाम होते ही, राजा ने उस पेड़ की जड़ ढूंढ़ी और वहां नीचे खूबसूरत फूलों से सजीव जगह तैयार की।
उसने मधुर खुशबूदार जल के छिदकाव के लिए भी साज-सज्जा की।
रात को, सांप उनके महल के पास आया। जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता गया, उसने देखा कि उसका स्वागत अच्छे से किया गया है। इससे उसका दिल खुशी से भर गया।
सांप ने राजा से कहा, “राजा, आपकी अच्छे दिली सावधानी ने मेरे मन को बदल दिया है। मैं आपका मित्र बनना चाहता हूँ, शत्रु नहीं।”
छोटी सीख वाली कहानी से शिक्षा: यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि सदयालु और दयालु व्यवहार से हम किसी का दिल बदल सकते हैं। दयालुता और सहयोग से हम दुश्मन को भी मित्र बना सकते हैं और उनकी मदद कर सकते हैं।
छोटी सीख वाली कहानी – पेड़ की मित्रता
एक बार की बात है, एक जंगल में एक बड़ा सेब का पेड़ था। रोज़-रोज़ एक बच्चा वहाँ आकर खेलने आता था। वह पेड़ की डालों पर लटकता, फल तोड़ता और उछल-कूद करता था, पेड़ भी खुश रहता था।
कुछ साल बाद बच्चा आया, लेकिन फिर नहीं आया। पेड़ बेहद उदास हुआ।
कई सालों बाद, उसी बच्चे ने फिर से पेड़ की तरफ देखा, लेकिन वह अब बड़ा हो गया था।
पेड़ ने उसे आमंत्रित किया, पर बच्चा खुश नहीं दिखा। उसने कहा कि अब वह फल नहीं तोड़ता, बल्कि खिलौने से खेलना पसंद करता है, पर पैसे नहीं है।
पेड़ ने उसे सुझाया कि वह फल तोड़कर उन्हें बेचकर खिलौने खरीद सकता है।
फिर कुछ दिन बाद, वह बच्चा वापस आया, लेकिन उसकी आयु बढ़ गई थी। पेड़ ने उसे खेलने के लिए आमंत्रित किया, पर वह अब घर बनाने के लिए पैसे चाहता था। पेड़ ने उसे शाखाएँ देने की सलाह दी।
बहुत समय बाद, उसी बच्चे ने थक कर वापस आने का फैसला किया।
पेड़ ने देखा कि उसकी शाखाएँ कट गई हैं, पर वह अकेला और उदास खड़ा था।
आखिरकार, जब उस बच्चे ने फिर से पेड़ की तरफ देखा, तो पेड़ ने उसे समझाया कि अब उसके पास कुछ नहीं है।
बूढ़ा ने कहा, “अब उसे किसी प्रकार की मदद की आवश्यकता नहीं है, उसे बस एक ऐसी जगह चाहिए जहाँ वह शेष जीवन को आप्रीत से बिता सके।” पेड़ ने अपनी जड़ों में उसे शरण देने का निर्णय लिया और बूढ़ा उसी जगह पर हमेशा रहने लगा।
छोटी सीख वाली कहानी से शिक्षा : जीवन में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो निस्वार्थ प्रेम करते हैं, उन्हें जल्दी पहचानें और उनका सम्मान करें।
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Man it is aapko Abhinandan karta hai ki mera kahani mein achcha Lage