खुश रहने का रहस्य
एक दिन एक संत काफी प्रस्सन होकर सबसे बात कर रहे थे | उनके चेहरा हमेशा प्रसन भाव से भरा दिखता । दुखा राम को उस संत की प्रसन्ता देखकर राह नहीं गया|
एक दिन उसने संत को कहा की मेरे पास सुख-सुविधा के भरपूर साधन हैं। फिर भी मैं खुद को खुश महसूस नहीं कर पाता । आप का राज क्या है, आप इतने कैसे प्रसन रहते है | कृपया मुझे इसका राज बतायें।
संत ने कुछ लिखकर दुखा राम को देते हुए कहा, “इसे घर जाकर ही आप खोलना। यही प्रसन्नता और सुख का रहस्य है।
वह घर पहुंचे और बड़ी उत्सुकता से उस कागज को उसने धीरे धीरे खोला। उस पर लिखा था जहां शांति और संतोष की मात्रा अधिक होती है, वहां प्रसन्नता खुद अपने आप जीवन में अपने आप आती है ।
इसलिये सुख और प्रसन्नता के पीछे भागने के बदले जो है उसमें संतुष्ट रहना सिख लेता है वह खुश रहता है|
सिख :
जीवन में जो व्यक्ति संतुष्ट रहता है वह पैसा भले कम कमाए, सुख सुविधा भी पर्याप्त न होना फिर भी वह अपने खुद को खुशनसीब समझता है| संतोष ही सबसे बड़ा धन है|