वीरता पर प्रेरक प्रसंग
वीरता पर प्रेरक प्रसंग ( virata par prerak prasang in hindi )
प्रस्तावना –
वीरता यह वीरों का प्रतीक है । साहस और वीरता जिसके जीवन में है। उसके सामने कितनी भी कठिनाइयां आए वह डटकर सामना करता है।
आज हम वीरता का प्रेरक प्रसंग पढ़ेंगे,
एक छोटा सा बालक काशी में स्थित हरिश्चंद्र विद्यालय में पढ़ता था।
उसकी आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी।
वह बच्चा छोटी उम्र से ही अपने परिवारों की चिंता किया करता था।
उस बालक के घर और उसके स्कूल के बीच में बहुत बड़ी नदी आती थी ।
हमेशा नाव के किराए के पैसे बचाने के लिए उसने तैराकी सीख ली।
परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के कारण वह किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं लेना चाहता था।
इसलिए उसने दृढ़ निश्चय कर लिया कि मैं आप स्कूल हर रोज तैर कर जाऊंगा।
एक दिन वह बालक जब नदी में तैर कर स्कूल की ओर जा रहा था। तब बहुत ही तेज धार वर्षा हो रही थी।
एक नाव वाले की नजर उस बच्चे पर पड़ी। वह नाव बालक की और ले जाकर उसे हाथ पकड़ कर नाव में बिठा दिया।
नाव वाले ने क्रोधित होकर कहा आप डूब सकते थे। अगर हम सही समय पर आपके पास नहीं पहुंचे होते।
इस तरह की लापरवाही आप अगले समय से ना कीजिए।
उस बालक ने कहा,” यह तो रोज का दिनचर्या है ।”
अगर हम परेशानियों का सामना नहीं करेंगे तो आगे कैसे बढ़ेंगे ?
मैं अपने माता पिता को आर्थिक रूप से परेशान नहीं करना चाहता।
जितने भी प्रलोभन आएंगे मैं साहस पूर्वक सभी समस्याओं का सामना करुगा।
क्या आप जानना चाहोगे वह साहसी बालक कौन था ?
– बहुत साहसी बालक का नाम है लाल बहादुर शास्त्री।
जो आगे चलकर भारत के प्रधानमंत्री बने।
लाल बहादुर शास्त्री साहसी थे! आत्मनिर्भर, मातृ पितृ भक्ति, देश भक्ति जैसे अनगिनत गुणों के कारण वह भारत के हर नागरिक के दिल में स्थित है।
इसलिए हमे लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन परिचय अवश्य पढ़ना चाहिए।
वीरता के प्रेरक प्रसंग का निष्कर्ष – वीरता के प्रेरक प्रसंग से हमें सीख मिलती है की जो वीर पुरुष होता है।वह अपने जीवन में बहुत बड़ा मुकाम हासिल करता है।