Tulsidas ki kahani | तुलसीदास की कहानी
Tulsidas ki kahani
तुलसीदास की अनेक कहानियां प्रसिद्ध है । तुलसीदास की अनेक कहानियां प्रसिद्ध है ।
यह तुलसीदास और उनकी पत्नी की कहानी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।
तुलसीदास की पत्नी का नाम था रत्नावली।
रत्नावली अपने मायके चली जाती है।
कुछ दिनों तक तुलसीदास रत्नावली के बिना रह लेते हैं। किंतु, जैसे जैसे समय बीतता जाता है उन्हें रत्नावली की याद आने लगती है।
Tulsidas ki kahani
काफी महीनों बाद तुलसीदास निर्णय लेते हैं कि, “कुछ भी हो जाए मैं रत्नावली से मिलकर ही आऊंगा।”
उस समय तेज बरसात हो रहा था। तूफान अपनी सीमाएं लांघ चुका था । मानव विश्व का अंत आ चुका है। पशु पक्षी बरसात और तेज तूफान के कारण मारे जा चुके थे।
ऐसे भयंकर परिस्थिति में तुलसीदास ने निर्णय लिया है कि मैं रत्नावली से मिलकर ही आऊंगा।
तुलसीदास ने ऐसी परिस्थिति में भी रत्नावली से मिलने के लिए रवाना हो गए।
तुलसीदास रत्नावली से मिलने के लिए उन्होंने मृत व्यक्ति को नाव समझकर उन्होंने नदी पार करी और घर के बाहर पहुंच गए।
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रत्नावली का घर दूसरे मंजिल पर था। तुलसीदास कोई मोटी रस्सी दिखाई दी ।
उन्होंने बिना सोचे उस रस्सी को पकड़कर दूसरे मंजिल पहुंच ही गए।
तुलसीदास जैसे ही दूसरे मंजिल पर पहुंचे रत्नावली की आंखें खुल गई।
वह घबराते हुए बोली, ” आप इतनी भयंकर परिस्थिति में आप मुझे मिलने क्यों आए? “
ऐसी विकट परिस्थिति में आना असंभव है ।
तुलसीदास ने कहा कि, ” मैं रत्नावली आपके बिना नहीं रह सकता।”
मैं तुझसे बहुत अत्यधिक प्रेम करता हूं।
यह सुनते ही रत्नावली ने कहा, “इतना प्रेम मुझसे ना करिए। आपने साप को रस्सी समझकर उसके सहारे आप यहाँ पर आए हो ।
आपने इतना ही प्रेम प्रभु श्रीराम के लिए किया होता तो साक्षात भगवान आपको प्राप्त हो गए होते।
रत्नावली का जवाब सुनते ही तुलसीदास स्तभ रह गए ।
यह बात उनके ह्रदय में बैठ गई ।
उन्होंने अपना पूरा प्रेम भगवान श्री राम के चरणों में सौंपने की प्रतिज्ञा ली।
तुलसीदास ने चित्र कूट में एक कुटिया बनाई। पूरे भक्ति भाव से प्रभु राम के प्रेम में मग्न हो गए।
उनकी भक्ति भाव और प्रेम की लगन को देखकर साक्षात राम जी और हनुमान जी का उन्हें मिलने की आना ही पड़ा।
तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ Tulsidas ki rachna –
- गीतावली
- हनुमान चालीसा
- संकट मोचन
- श्री रामचरित्र मानस
इत्यादि ग्रंथ लिखे ।
तुलसीदास की कहानी इन हिंदी से सिख :
प्रेम और निष्ठा से आप भगवान को प्राप्त कर सकते हो।
Tulsidas ki kahani से सिख :
व्यक्ति अगर ठान ले तो सब कुछ हासिल कर सकता है।