नैतिक शिक्षाप्रद कहानि – समय चक्र ( shikshaprad kahani)

नैतिक शिक्षाप्रद कहानि ( shikshaprad kahani )

एक कसाई के पास चूहा, कबूतर और बकरी थे।

रात को रोज चूहे की आवाज से वह परेशान हो जाता था।

shikshaprad kahani

कसाई ने ठान लिया था की पिंजरा लाउगा और जैसे ही पिंजरे में चूहा फस जायेगा उसे जान से मार दुगा

चूहे को जब पता चलता है तो वह कबूतर के पास सहायता के लिए जाता है।

  • कबूतर बोलता है की मेरा कोई लेना देना नही है कृपया आप मुझसे दूर रहो।
  • बकरी के पास जाता है सहायता के लिए बकरी बोलती है अपना अपना देखो ! मै आपकी कोई सहायता नही करुँगी।

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कसाई पिंजरा रख देता है। पिंजरे में टक करके आवाज आई तो कसाई तुरंत पिंजरे के पास जाता है वहा साप होता है ! साप कसाई को काट देता है।

डॉक्टर कहता है की कबूतर के सूप पिलाओ काश उससे ठीक हो जाए।

फिर तो कबूतर की सामत आ जाती है कबूतरको मार दिया जाता है।

कसाई सूप से ठीक हो जाता है तो कसाई ठीक होने की खूशी में मांसाहारी भोजन बनवाता है जहा बकरी को मार दिया जाता है।

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निष्कर्ष :

नैतिक शिक्षाप्रद कहानि ( shikshaprad kahani) से सिख मिलती है की समय चक्र बड़ा बलवान है। ध्यान रखिए ,जब भी कोई मुसीबत में सहायता के लिए आए उसे सहयोग करिए।

आज आप किसी के बुरे वक्त में मदत करेगे तो भगवान आपकी भी सहायता बुरे वक्त में अवश्य करेगा

अगर आप बुरे वक्त में जानमुचकर मदत नही करोगे तो आपका बुरा वक्त आने में समय नहीं लगेगा

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