क्षमा पर प्रेरक प्रसंग ( shama par prerak prasang in hindi )
क्षमा पर प्रेरक प्रसंग
प्रस्तावना – क्षमा पर प्रेरक प्रसंग ( प्रेरक कहानी इन हिंदी ) क्षमा मनुष्य का सबसे महत्वपूर्ण गुण है।
जो व्यक्ति सामने वाले की गलती होने के कारण भी उसको क्षमा करता है तो क्षमा करने वाले व्यक्ति के चरित्र का स्तर बढ़ जाता है।
कोई भी व्यक्ति कहता है की, किसी भी महापुरुष का एक प्रेरक प्रसंग सुनाइए तो अवश्य यह प्रेरक कहानी सुनाना । जिससे व्यक्ति के जीवन को सही दिशा मिलेगी
आज हम महान चरित्र थॉमस एल्वा एडिसन के जीवन के छोटे सा प्रसंग जानेंगे जो क्षमा पर प्रेरक प्रसंग है।
थॉमस अल्वा एडिसन अपने लेब में एकाग्रता से काम कर रहे थे।
उन्होंने बल्ब बनाने के लिए बहुत सारे तरीके ढूंढे पर सभी तरीके असफल रहे।
उन्होंने पूरी आत्मा को अपने कार्य में लगाकर कई सालो निष्ठा से काम करके अंत में एक बल्ब बना ही दिया।
थॉमस अल्वा एडीसन 999 बार असफल रहे और अंतिम 1000 बार बल्ब बनाने में सफल रहे।
उन्होंने वह अपने ऑफिस की देखभाल करने वाले को दिया और कहा, ” आप इसे लैब के किसी सुरक्षित जगह पर रखो। “
दुर्भाग्यवश, वह बल्ब उस व्यक्ति के हाथ से गिरकर पूरी तरह बिखर जाता है।
उस व्यक्ति का शरीर भय के कारण थरथराने लगता है, क्योंकि वह जानता था की,
थॉमस एल्वा एडिसन की हजारों दिन और रात एक कर कर उन्होंने यह सफलता हासिल की थी।
महान चरित्र थॉमस अल्वा एडिसन ने इस घटना पर कोई आक्रोश भरी प्रतिक्रिया नही की ।
बल्कि उसे प्यार से समझाकर उसे शांत कराया।
थॉमस अल्वा एडिसन का मानना था कि, एक बार बल्ब टूट गया तो फिर से बना सकते है।
अगर कोई इंसान दिल से टूट जाता है तो उसे जोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है।
इसलिए मैंने उसे क्षमा कर दिया।
वह कहते हैं कि, मैंने 999 तरीके सीखे हैं जिससे बल्ब नहीं बनता है।
क्षमा पर प्रेरक प्रसंग ( प्रेरक लघुकथा) – निष्कर्ष :
क्षमा पर प्रेरक प्रसंग से हमें सीख मिलती है कि महान चरित्र हमेशा सकारात्मक सोच व क्षमा का भाव रखते है।
इसलिए उनके गुणों के कारण महान चरित्र के उपाधि में आते है।
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