संघर्ष पर प्रेरक कहानी ( Sangarsh par prerak kahani )

संघर्ष पर प्रेरक कहानी ( Sangarsh par prerak kahani )

संघर्ष पर प्रेरक कहानी ( प्रस्तावना ) :  

जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है। “संघर्ष ही जीवन है” । आज भारत भूमि पर ऐसे अनेक महापुरूष ने जन्म लिया है। इसलिए ही महान लोगों की प्रेरणादायक कहानियां हमे पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

जिसने हम संघर्ष, ईमानदारी, आत्मविश्वास जिसे गुणों से हम हमारा जीवन सफल बना सकते है।

चलो बढ़ते है, संघर्ष से सफलता तक की कहानी की और,

एक बहुत ही गरीब परिवार का लड़का था । उसे विद्यालय में अध्ययन करना बहुत ही पसंद था। वह अध्ययन बहुत ही दिल लगाकर क्या करता था।

संघर्ष पर प्रेरक कहानी

उसके जीवन में सबसे बड़ी परेशानी थी की ” उसके पास पैसों की बहुत कमी रहती थी। “

उसके पास इतने पैसे नहीं रहते थे कि वह अपने विद्यालय की फीस भर सके।

इसलिए वह स्कूल के छुटने के बाद वह माली के पास उसका हाथ बटाया करता था।

उसे कुछ पैसे मिल जाते थे। जिससे वह अपने स्कूल की फीस और साथ-साथ अपने किताबें स्वयं खरीद सके उतना वह कमा लेता था ।

स्कूल के अन्य विद्यार्थियों के मन में जलन की भावना उत्पन्न हुई।

उन्होंने प्राचार्य जी से शिकायत की,

  • यह लड़का बहुत ही गरीब है ।
  • इसके पास इतने पैसे कैसे आ जाते हैं ? समय पर स्कूल की फीस भी चुकाता है?
  • स्वयं से समय पर किताबें भी खरीद लेता है?

प्राचार्य जी,” यह लड़का चोरी करता है” और उसी से यह स्कूल की फीस जमा करता है।

प्राचार्य जी बहुत ही क्रोधित हो जाते है, “ वह उस बालक को कहते हैं कि आप इतने पैसे कहा से लाते हो ।

अगर वित्त की परेशानी है तो आप स्कूल की फीस माफ करवाने का आग्रह क्यों नहीं कर लेते हो ?

वह बालक स्वाभिमान मान से जवाब देता है, “ जब मैं स्वयं स्कूल की फीस भरने में सक्षम हु ।

मुझे लाचार नहीं बनना है ! मैं स्वयं की सहायता स्वयं कर सकता हूं।

प्राचार्य यह शिक्षा मुझे आपसे ही प्राप्त हुई है। इसलिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !!

प्राचार्य जी का मस्तक गर्व से उठ जाता है।

अन्य जलन का भाव रखने वाले विद्यार्थी का सर शर्मिंदा होकर नीचे की ओर झुक जाता है।

स्वयं पर आत्मविश्वास और स्वयं पर स्वाभिमान रखने वाला बालक का नाम –  सदानंद चट्टोपाध्याय था।

जब वह युवाअवस्था में मात्र २० वर्ष में शिक्षा संगठन के डायरेक्टर के रूप में उनको संबोधित किया गया ।

उनकी जीवन की इमानदारी, आत्मविश्वास, संघर्ष, करना इत्यादि गुणों से वे महान सफल व्यक्ति बने।

आज पूरे भारतवर्ष में सदानंद चट्टोपाध्याय के संघर्षपूर्ण जीवन को सभी भारतवासी याद करते है।

संघर्ष पर प्रेरक कहानी ( संघर्ष से सफलता ) – निष्कर्ष :

संघर्ष पर प्रेरक कहानी (सफल व्यक्ति की कहानी ) से सिख मिलती है, संघर्ष ही जीवन है। सफल व्यक्ति वो ही होगा है ! जो हमेशा संघर्ष को चीरकर आगे बढ़ता है।

जो व्यक्ति संघर्ष नही करता है । उसके जीवन में वह अवश्य ही असफलता की ठोकर खायेगा।

इसलिए हमेशा संघर्ष का सामना स्वाभीमान से करिए ।

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