सहनशीलता पर प्रेरक प्रसंग ( sahanshilta par prerak prasang )
सहनशीलता पर प्रेरक प्रसंग ( sahanshilta par prerak prasang )
सहनशीलता पर प्रेरक प्रसंग (संत एकनाथ की कहानी)
प्रस्तावना
सहनशीलता यह वीर की निशानी है।
जिसके जीवन में सहनशीलता है, वह व्यक्ति मनिसिक रूप से तनाव में नही रहता है।
जिस व्यक्ति में सहनशीलता है। वह प्रतिकूल परिस्थिति को भी अनुकूल परिस्थिति में परिवर्तित कर देता है।
आधुनिक युग में इंसान के पास सब कुछ है पर सहनशीलता नहीं है ।
इसलिए व्यक्ति अपने दिमाग को संतुलित नहीं कर पाता है। जो परिणामस्वरूप: क्रोध में परिवर्तित हो जाता है।
संत एकनाथ महान और प्रभाव शाली चरित्र थे। उनकी इसी महानता से कारण कुछ लोग उनके प्रति जहर उगलते थे।
कुछ लोगो ने मिलकर संत एकनाथ को क्रोध दिलाने की योजना बनाई।
एकनाथ जब मंदिर में कीर्तन में मगन थे।
उन विरोधियो ने कीचड़ भरे चप्पल के साथ संत एकनाथ की गोद में बैठ गया।
सभी कीर्तन सुनने वाले आग बबूला हो गए ! वे सभी कीर्तन से उठकर उसे मारने आगे बढ़े।
संत एकनाथ ने कहा, ” यह जो गोद में बैठा है। यह सबसे बड़ा भक्त है।
सभी आश्चर्चकित हो गए, और संत एकनाथ जी से ने कारण पूछा ?
उन्होंने कहा,” यह व्यक्ति मेरे कीर्तन को सुनने के लिए बड़े आतुर भाव से आया है।
कीर्तन सुनने के लिए चप्पल भी उतरना भूल गए।
भजन कीर्तन तेज आवाज में सुनाई दे इसलिए गोद में बैठ गए।
यह सुनकर, ” सभी ने संत एकनाथ के सहानशीलता पर नतमस्कतक किया। “
विरोधीयो ने संत एकनाथ जी की सहनशीलता देखी तो उनके चरणों में गिरकर माफी मांगी और उनके सबसे बड़े भक्त बने।
सहनशीलता पर प्रेरक प्रसंग – निष्कर्ष :
संत एकनाथ की कहानी– सहनशीलता पर प्रेरक प्रसंग ( sahanshilta par prerak prasang ) से सिख मिलती है की, सहनशीलता वाला व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी समझ व बुद्धि से काम लेते है।
इसलिए विपरित परिस्थितियों जैसे प्रतिकुल समय को भी अनुकूल परिस्थिति में बदल देते है।
सहनशीलता को अच्छे से समझना है तो – सहनशीलता पर दोहे, सहनशीलता पर निबंध,सहनशीलता पर प्रेरक प्रसंग पढ़े।