प्रेरक कथा – असली साथी ( Prerak katha in Hindi )

प्रेरक कथा – असली साथी ( Prerak katha in Hindi )

एक व्यक्ति के तीन मित्र थे। उन्होंने जीवन भर उसके साथ हमेशा रहे।

जब उसका अंतिम समय आया तो अपने तीनों मित्रों को पास बुलाया और कहा , “अब मेरा अंतिम समय आ गया है। आप मित्रो ने जीवन भर मेरा साथ दिया है पर क्या आप मेरे मरने के बाद मेरा साथ दोगे ?”

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Prerak katha in Hind

पहले मित्र ने कहा, “मैंने जीवन भर तुम्हारा साथ दिया। मैंने इस जीवन में आपके सुख चैन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी पर आपके मृत्यु के बाद आपकी कोई सहायता नही कर सकता।

इसलिए मुझे क्षमा करना।

दूसरा मित्र बोला, ” मैं मृत्यु को चाह कर भी नहीं रोक सकता।

मैंने आजीवन तुम्हारा हर एक परिस्थिति में साथ रहा। मैं यह निश्चीत करूंगा कि मृत्यु के बाद तुम्हारा अंतिम संस्कार सही तरह से हो उसकी जवाबदारी मैं लेता हु।

पर मैं भी आपके मृत्यु के बाद आपकी कोई सहायता नही कर सकता।

तीसरा मित्र बोला, “मित्र! तुम बिलकुल भी चिंता मत करो। मैं वादा करता हु की मृत्यु के बाद भी तुम्हारा साथ दूंगा।

तीन मित्र के नाम हैं- धन ,परिवार और कर्म।

प्रेरक कथा से यह पता चला की मनुष्य के कर्म ही सिर्फ मृत्यु के बाद भी उसका साथ निभाते है।

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निष्कर्ष :

प्रेरक कथा ( Prerak katha in Hindi ) से सिख मिलती है कि कर्म ही इहलोग ( मनुष्य जीवन ), परलोक ( मृत्यु के बाद ) दोनो लोक में साथ निभाता है।

कर्म प्रधान है । आज हम हमारे जीवन में अगर किसी भी स्थिति में है वह हमारे कर्म का नतीजा है । सही दिशा में कर्म करे तो जिंदगी सवर जाती है गलत दिशा में करे तो जिंदगी बिखर जाती है।

आप अच्छे कर्म के पॉलिसी को समझ जाओगे तो वह जीवन के साथ भी काम आएगा व जीवन के बाद भी।

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