नैतिक शिक्षा – शिंकजी का स्‍वाद ( Naitik shiksha in hindi )

नैतिक शिक्षा – शिंकजी का स्‍वाद ( Naitik shiksha in hindi )

एक बार रोज की तरह शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे।

उनकी नजर एक विद्यार्थी पर पड़ी जो एकदम गुमसुम सा था।

वह एकदम अपने विचारों में खोया हुआ था।

Naitik shiksha in hindi

शिक्षक के मन में जिज्ञासा आई किस विद्यार्थियों को पूछुंगा कि यह इतना शांत क्यों रहता है ?

शिक्षक उसे दूसरे दिन अपने दफ्तर पर बुलाते है।

और उसे सवाल करते हैं की आप इतने गुमसुम क्यों रहते हो ?

विधार्थी जवाब देता है की अतीत में बहुत सारे बुरे अनुभव के कारण मेरा स्वभाव भी गुमसुम सा बन गया है।

शिक्षक को समस्या समझ आ जाती है नींबू पानी का रस मंगवाते हैं ! उसमें वह नमक बहुत सारा डाल देते हैं।

जब विद्यार्थी रस पीता है तो उसे बहुत ही खट्टा लगता है।

विद्यार्थी के चेहरे का इशारा देखते हुए शिक्षक कहते हैं कि, यह शिकंजी रहने दो मैं आपके लिए नया मंगाता हूं।

विद्यार्थी कहता है की सर जी इसकी कोई आवश्यकता नहीं है आप सिर्फ इसमें शक्कर थोड़ी और डाल दो जिससे इसका स्वाद बराबर हो जाएगा।

शिक्षक तुरंत जवाब देते हैं कि यही मैं आप को यह ही समझाना चाहता हूं।

जीवन कितना भी खट्टा ( बुरे अनुभव ) हो, पर आपको कुछ मीठा ( अच्छे अनुभव ) पर लाने होगा।

तब जाकर आपका जीवन संतुलित हो जाएगा और गुमशुदा वाला स्वभाव भी धीरे-धीरे खुश मिजाज वाले स्वभाव में परिवर्तित हो जाएगा।


निष्कर्ष :

नैतिक शिक्षा ( Naitik shiksha in hindi ) कहानी से सिख मिलती है की, हमारे जीवन में अनेक समस्या है ! इंसान हमेशा चिंताओं में घिरा रहता है जिससे कारण वह हमेशा दुखी रहता है।

हम हमारे अतीत के बुरे अनुभव को कम नही कर सकते पर हम हमारे आने वाले अनुभव को अच्छा बना सकते है।

जिससे हम जीवन के हर एक पल को खुशी से जी सके।

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