नैतिक कहानी इन हिंदी – ‘यथा दृष्टि तथा सृष्टि ( Naitik kahani in hindi )

नैतिक कहानी इन हिंदी – ‘यथा दृष्टि तथा सृष्टि

यह महाभारत का एक प्रसंग है। आचार्य द्रोण के मन में परीक्षा लेने की बात उभर आती है वह कौरवों में से दुर्योधन को बुलाते हैं और पांडवों में से राजकुमार युधिष्ठिर को बुलाते हैं।

नैतिक कहानी इन हिंदी - 'यथा दृष्टि तथा सृष्टि

नैतिक कहानी इन हिंदी

आचार्य द्रोण दुर्योधन को कहते हैं कि वत्स ! आप अच्छे आदमी की खोज में निकलो पूरे गांव में जो भी आपको अच्छा व्यक्ति लगेगा उसे मेरे समक्ष लेकर आओ।

दुर्योधन पूरे गांव में पूरे नगर में भ्रमण कर कर आचार्य द्रोण के पास आता है और कहता है कि गुरु जी मुझे कोई भी अच्छा व्यक्ति नहीं दिखा।

इसलिए मैं खाली हाथ लौट आया हूं।

आचार्य द्रोण राजकुमार युधिष्ठिर को कहते हैं कि वत्स ! आप बुरे व्यक्ति की खोज में निकलो और बुरे व्यक्ति को मेरे समक्ष लेकर आओ।

युधिष्ठिर पूरा गांव नगर भ्रमण कर आचार्य द्रोण के सामने आता है और कहता है कि गुरुजी पूरे गांव व पूरे नगर में भ्रमण कर चुका हूं मुझे कोई भी बुरा व्यक्ति नहीं मिला।

बाकी शिष्य आचार्य द्रोण को पूछते हैं कि, ऐसा क्यों हुआ ?

दुर्योधन को कोई अच्छा व्यक्ति नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा व्यक्ति नहीं मिला यह कैसे हो सकता है?

आचार्य द्रोण कहते हैं जो व्यक्ति जैसा होता है उसे सारे लोग अपने जैसे ही दिखाई देते हैं।

इसलिए युधिष्ठिर को कोई बुरा व्यक्ति नहीं मिला और दुर्योधन को कोई अच्छा व्यक्ति नहीं मिला।

नैतिक कहानी इन हिंदीNaitik kahani in hindi

निष्कर्ष :

नैतिक कहानी इन हिंदी – ‘यथा दृष्टि तथा सृष्टि से सिख मिलती है की जो व्यक्ति नकारात्मक विचार धारा का होता है उन्हें मित्र नकरात्मक विचारधारा वाले मिलते है।

जो व्यक्ति की विचारधारा सकारात्मक होती है। उसे मित्र भी पॉजिटिव विचार वाले मिलते है !

इसलिए कहा जाता है सोच बदलो सितारे बदल जायेंगे।

देखने का नजरिया बदलो नज़ारे बदल जायेंगे।

कश्ती बदलने की कोई जरूरत नहीं सिर्फ दिशा बदलो किनारे खुद ब खुद बदल जायेंगे।

अन्य पढ़े –

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *