lalach ka fal bura hota hai | लालच का फल बुरा होता है
हम जानते है की लालच का फल ( lalach ka fal bura hota hai) बुरा होता है । लालची व्यक्ति कभी भी प्रसन्न नहीं रह सकता है।
जिसका स्वभाव लालची हो गया है उसे संतोष कभी प्राप्त नहीं हो सकता ।
lalach ka fal bura hota hai | लालच का फल बुरा होता है
एक भिक्षुक लक्ष्मी माता जी का भक्त था।
उसे जब भी समय मिलता वह लक्ष्मी माता जी के मंदिर में बैठकर उनकी आराधना करता था।
हर सुबह वह लक्ष्मी माता जी के दर्शन करने के बाद गांव में शिक्षा के लिए चला जाता था।
अभी उसे कोई भोजन की सामग्री या धन मिलता तो वह उसे स्वर में जय लक्ष्मी माता ऐसा कहता।
लेकिन उसके दिमाग में बहुत लालच भरा हुआ था।
लक्ष्मी माता जी उस भिक्षुक पर प्रसन्न हो गए।
माताजी ने उस भिक्षुक के सामने प्रकट हो गए और कहां, “भक्तों को क्या वरदान चाहिए।
लालची भिक्षुक ने माता जी से बहुत सारी सोने की अशरफियां मांगी।
लक्ष्मी जी ने कहा – आपको जितनी भी अशरफियाँ चाहिए है। वह आपको मिल जाएगी।
केवल एक बात का ध्यान रहे अशरफी अगर नीचे जमीन पर पड़ी तो वह मिट्टी में रूपांतरित हो जाएगी।
भिक्षुक ने कहा – ठीक है।
लालची भिक्षुक ने झोली फैला दी ।
कुछ सोने की अशरफियां उस झूले में रख दी।
लालच में भिक्षुक ने कहा – मुझे और सोने के अशरफियाँ चाहिए।
लक्ष्मी जी ने उससे और भी सोने की अशरफियाँ दे दिए।
भिक्षुक लालच में आकर लक्ष्मी जी को उच्च स्वर में कहा कि,” आप मुझे इतने कम अशरफियाँ क्यों दे रहे हो?”
lalach ka fal bura hota hai kahani | लालच का फल पर लघु कथा
लालची भिक्षुक कहता है, “मेरी झोली तो बहुत ही बड़ी है।”
लक्ष्मी जी ने उसके कहने पर बहुत सारे अशरफियाँ उसे दे दी।
भिक्षुक इतनी सारी अशरफियाँ उसकी झोली में देखकर अत्यधिक खुश हो गया।
भिक्षुक की झोली पुरानी होने के कारण फट जाती है।
पूरी सोने की अशरफियां मिट्टी में बदल जाती है।
यह देखकर भिक्षुक लक्ष्मी माता जी ढूंढता है । लेकिन, तब तक लक्ष्मी जी वहाँ से ओझल हो जाते है।
भिक्षुक का लालच का अहसास होता है । उसके पास पछतावा करने के अलावा कोई चारा नहीं होता ।
लालच पर छोटी कहानी से सिख :
लालच बुरी बला है । लालच का फल हमेशा बुरा होता है ।
Accha