लघु कथा – कालूराम कि बचत

आज हम बात करेंगे ( लघु कथा – कालूराम कि बचत )के जीवन प्रसंग के बारे में !

कालूराम एक छोटे से गांव का रहने वाला एक बहुत ही गरीब व्यक्ति था !

वह आज सुबह जो भी कमाता वह सिर्फ उसके रात का इंतजाम कर पाता था | दूसरे दिन अगर वह नहीं कमाए तो घरवाले भूखे रह जाते थे !

लघु कथा - कालूराम कि बचत

एक समय ऐसा आया की कालूराम की तबीयत थोड़ी खराब होने लगी और न कमाने के कारन आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने लग गई !

कालूराम आर्थिक स्थितियों से परेशान हो गया और अब घर कैसे चलेगा इस चिंता से वहां अंदर ही अंदर सोच कर उसका हाल बेहाल होता जा रहा था !

पूरी तरह से हार गया था टूट गया था बिखर गया था| उससे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा उसे लग रहा था कि बस अब मैं इस आर्थिक परिस्थिति को कभी ठीक नहीं कर पाऊंगा !

कालूराम की पत्नी उसके पास गई और कहा कि आप चिंता मत करो मुझे पता है कि आपके मन में क्या चल रहा है !

कालू राम की पत्नी ने कहा, निश्चिंत रहो हमारे पास कई महीनों का राशन पड़ा है | मैंने थोड़े-थोड़े कर कर राशन‌ बचाती थी जिससे विकट परिस्थिति में काम आ सके !

यह सुनकर कालूराम के ऊपर से जो पहाड़ जैसा भार था वह तुरंत ही चला गया और उसे समझ आ गया कि थोड़ी-थोड़ी बचत अगर हम करें तो भविष्य में हमें परेशानियों से लड़ने की हिम्मत मिलेगी !

निष्कर्ष :


यह सिर्फ कालूराम की कहानी नहीं है, यह हमारे जीवन की कहानी है कोरोना का काल में हमें समझ आ गया है कि बचत बहुत ही जरूरी है |

जिन्होंने बचत करी थी उन्होंने अपने आप को संभाल लिया !

इस बात से हमें यह सीख मिलती है कि हम निर्णय लेंगे कि हम हर एक चीज का सदुपयोग करेंगे चाहे वह पैसा हो या समय हो !

भविष्य में हम प्रबलता से परेशानियों का सामना कर सके ना कि दुर्बल होकर रोते रहे !

मैं‌ आपसे निवेदन करता हूं, कि एक कहानी से आपने बचत के बारे में सिखा सकेंगे और मुझे आशा है कि आप भी इस कहानी के माध्यम से अपने आने वाले भविष्य को और बेहतर बना सके !

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