कछुए और खरगोश की कहानी | kachua aur khargosh ki kahani
कछुए और खरगोश की कहानी ( kachua aur khargosh ki kahani )
कछुए और खरगोश की कहानी ( प्रस्तावना ) :
जीवन में जो व्यक्ति निरंतर प्रयास करता है। वह हमेशा लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होता है।
जो व्यक्ति आधी अधूरी मेहनत करता है । वह लक्ष्य प्राप्त करने में निश्चित रूप से असफल होता है।
बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक कछुआ और एक खरगोश रहा करता था।
खरगोश तो बहुत ही घमंड था क्योंकि वह बहुत ही तेज गति से दौड़ पाता था।
उसे अपने दौड़ने का घमंड इतना सर पर चढ़ गया था कि वह सभी से दौड़ कि चुनौती देता था।
खरगोश कछुए की बहुत ही मजाक उड़ाया करता था। खरगोश ने 1 दिन कछुए को बोला की तुम इतने सुस्त हो।
तुम जैसे सुस्त को मैं चलकर भी हरा सकती हु।
अगर हिम्मत है, ” मेरे से दौड़ में प्रतियोगिता लगा।”
कछुआ ने प्रतियोगिता को स्वीकार किया। जंगल में सभी छोटे बड़े जानवर इस प्रतियोगिता को देखने के लिए जमा हो गए।
सभी लोग कछुए का मजाक उड़ा रहे थे। खरगोश को बहुत ही खुशी हो रही थी क्योंकि उसे लग रहा था की कछुआ बहुत बुरी तरह हारने वाला है।
दौड़ शुरू हो गई। खरगोश इतनी रफ्तार से भागा कि वह कुछ सेकंड में बहुत दूर तक चला गया।
कछुआ संयम बनाए हुए धीरे-धीरे चलने लगा । कछुआ समान गति से आगे की ओर बढ़ने लगा।
जब खरगोश बहुत ही दूर जा पहुंचा तो उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसे कछुआ दूर-दूर तक नहीं दिखाई दिया।
खरगोश जोर से हंसने लगा, ” कछुआ तो अभी बहुत ही मिलो दूर है। चलो मैं थोड़ा पेड़ के छांव में आराम कर लेता हूं।
खरगोश तेज गति से दौड़ने के कारण थक चुका था ! पेड़ के नीचे छांव होने के कारण उसे तुरंत ही नींद लग गई।
कछुआ धीरे-धीरे खरगोश कि यहां पहुंच गया । कछुए ने देखा कि” खरगोश गहरी नींद में सोया है”।
वह मन ही मन में मुस्कुराने लगा, ” बड़े संयम से और धीरे-धीरे चलकर बिना रुके वह अपने लक्ष्य की ओर पहुंच गया। “
सभी जानवरों ने जोर से तालियां बजाई। खरगोश तालियों की आवाज से उठ गया।
उसे जब देखा कि कछुआ यह प्रतियोगिता जीत चुका है।
उसके पैरो तले जमीन खिसक गई। खरगोश किसी को भी मुंह दिखाने लायक नहीं बचा । उसे अपनी गलती का एहसास हो चुका था पर काफी देर हो चुकी थी।
कछुआ और खरगोश की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है? कछुआ और खरगोश की कहानी की शिक्षा :
हमे कछुआ और खरगोश की कहानी ( khargosh aur kachhua ki kahani )से हमें सीख मिलती है , “कभी भी किसी को नीचा नहीं दिखाना।”
– संयम, प्रयास, निरंतरता, से मनुष्य सफलता हासिल कर सकता है।
– घमंड इंसान को कभी जीवन में आगे बढ़ने नही देता है।
– स्वयं के गुण ( क्वालिटी ) पर स्वाभिमान होना चाहिए लेकिन अभिमान नही होना चाहिए।
– जब तक लक्ष्य हासिल ना करो तब तक रुकना नही चाहीए।
– कड़ी मेहनत और निष्ठा से किया गया कर्म व्यर्थ नहीं जाता है । उसका परिणाम निश्चित रूप से मिलता है।
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