Gaon ki kahani | गाँव की कहानी – निर्दोष नेवला
Gaon ki kahani
प्रस्तावना –
क्रोध एक मात्र ऐसा दुर्गुण है । जो स्वयं का अधःपतन करता है । क्रोध से निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो जाती है !
फिर जो भी निर्णय क्रोध में लिया हो, ” वह विनाशकारी ही होता है। “
यह Gaon ki kahani (गांव की कहानी ) क्रोध पर आधारित है । राजस्थान में स्थित एक छोटे से शिव तलाव Gaon ki Kahani है । उस Gaon में एक किसान और उसका परिवार रहता था।
किसान की पत्नी को एक बार घर के बाहर एक नेवला दिखाई दिया । उसे नवेले पर दया आ गई ।
नेवले को अपने घर लाया और पालन पोषण करने लगी।
कही महीनों तक नेवले की देखभाल करने के बाद वह ठीक हो गया ।
एक दिन किसान की पत्नी किसान के साथ Gaon में स्थित खेत जाती है।
उसके मन में विचार आया की, ” हमें नेवले से लगाव है, नेवला तो एक जानवर है ! उसे बुद्धि नहीं है !
उसके भरोसे में अपने बच्चे को कैसे छोड़ सकती हु ?
वह अंदर से घबरा गई, ” तुरंत ही वह अपने घर जाने का निर्णय लिया।
Gaon ki kahani
जैसे ही वह घर के अंदर कदम रखा तो घर में सन्नाटा था । बच्चे की कोई आवाज नहीं आ रही थी।
जब दाई और देखा तो नेवले का मुंह खून से लथपथ था । वह जोर से चीख उठी। उसकी आवाज से पुरे gaon wale इकठ्ठा हो गए ।
उसे लगा की उसके बच्चे को नेवले ने मार दिया है ! यह विचार से क्रोध में आकार, ” धारदार हथियार से उस नेवले को चंद मिनटों में मार दिया।
जैसे ही किसान की पत्नी घर के अंदर गई तो, ” उसका बच्चा आराम से सोया हुआ है और उसके बाजू में साँप मृत पड़ा हुआ था।”
उसे बड़ा धक्का लगा की, ” जिसने मेरे बच्चे की जान बचाई।
उस निर्दोष जीव को मैंने बिना सोचे समझे मार गिराया।
किसान की पत्नी को बहुत पछतावा हुआ।
आशा करता हु की, शिवतलाव Gaon ki प्रशिद्ध Kahani से आपको सिख मिली होगी
Gaon ki kahani से सिख –
- क्रोध से काम बनते नही है बल्कि बिगड़ते है ।
- क्रोध में आकार निर्णय ना लीजिए ।
अन्य पढ़े –