भोलाराम की अज्ञानता का प्रेरक प्रसंग
आज हम बात करेंगे भोला राम के भोले पन के प्रेरक प्रसंग के बारे में तो चलो शुरू करते है ।
भोला राम अनपढ़ था। वह पढ़ना-लिखना बिलकुल भी नहीं जानता था।
उसने अक्सर लोगो को देखा था जो पेपर या किताबे पढ़ते समय चश्मा का उपयोग करते थे |
इसलिए एक दिन वह एक शहर में गया।
एक चश्मे की दुकान में बड़े उत्सुकता से अंदर गया।
उसने दुकानदार से एक जोड़ी चश्मा दिखाने के लिए कहा।
दुकानदार ने उन्हें बहुत से जोड़े चश्मे और एक किताब दी।
ग्रामीण ने एक-एक कर सभी चश्मों को अच्छे से आजमाया।
लेकिन वह कुछ पढ़ नहीं पाया उसने दुकानदार से कहा कि – ये सब चश्में तो आपके सब बेकार हैं।
ग्रामीण ने कहा, “ मैं चश्मा खरीदना चाहता हूं क्योकि मैं दूसरों की तरह पढ़ सकूं।
लेकिन ये सभी चश्में तो बहुत ही बकवास हैं।”
दुकानदार को हसी आयी, उसने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकी और कहा क्या होगा इस नादान भोलेराम का राम ही जाने |
निष्कर्ष :
जिसके जीवन में सही ज्ञान नहीं है वह दर दर की ठोकरे खाता है |
इसलिए हमे हर के कार्य के वास्तिवकता को समझना होगा जिससे हम भोला राम जैसे भूल न कर बैठे |