परोपकार – संत एकनाथ की प्रेरक कहानी
परोपकार – संत एकनाथ की प्रेरक कहानी
एक समय एक गाँव में १० से १२ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार बुरी तरह मार रहे थे.
उसी समय उसी रस्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ.
भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां सभी को कहा – भाइयों कृपया इस प्राणी को इस तरह क्यों मार रहे हो.
उसमें भी जीव है. तब एक युवक ने संत एकनाथ को कहा की, यह हमे काटेगा इसलिए हम इससे मार डालेंगे.
युवक की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा – तुम लोग सांप को बेवजह मारोगे तो वह भी तुम्हे काटेगा ही, अगर तुम सांप को नहीं मारोगे तो वह नहीं काटेगा.
ग्रामीण संत एकनाथ का काफी आदर सम्मान करते थे.
इसलिए संत की बात का आज्ञा का पालन कर सांप को छोड़ दिया.
कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने रवाना हुए .
तभी उन्हें रास्ते में सामने फेन फैलाए एक सांप दिखाई दिया.
संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की लेकिन वह वह से तस से मस नहीं हुआ.
आखिर में एकनाथ को दूसरे गहत पर जाना पड़ा.
दूसरे दिन शुभ संत एक नाथ ने देखा की उजाला होने पर लौटे तो देखा की बरसात के कारण बहुत बड़ा गड्डा हो गया था.
अगर सांप ने ना बचाया होता तो संत एकनाथ शायद उस गड्ढे में कबके समां चुके होते.
कहानी की सीख
हमे ध्यान रखना है की हमारे द्वारा कोई हिंसा न हो अगर कोई किसी भी जीव मात्रा को बेवजह हानि पहुंचाता है तो हमारा कर्तव्य की उसे रोके.
अगर आप में परोपकार का गुण है तो ईश्वर भी आपकी किसी भी स्वरुप में आकर आपकी रक्षा करेंगे.
हम धन्य है की संत एकनाथ जैसे महान, शीलवान चरित्र का जन्म हमारे भारत भूमि में हुआ.
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