बुद्धिमान बालक की कहानी
परिचय :
यूनिक बनना है तो आपको कुछ अलग सोचना पडेगा। इस कहानी से पता चेलगा की जो व्यक्ति की कृति सबसे अलग होती है उससे अकसर ज्यादा ही प्राप्त होता है.
चलो शुरू करते है, बुद्धिमान बालक की कहानी
एक समय की बात है, एक बुद्धिमान राजा राज्य करता था। उसका बड़ा सा साम्राज्य था और उसके प्रजा सब प्रकार से खुशहाल थे। राजा को अपने उत्तराधिकारी की तलाश थी।
राजा के पास तीन पुत्र थे। उनमें से किसी एक को ही राज्य की गद्दी पर बैठाना था। राजा ने एक पुरानी परंपरा को तोड़ने का निर्णय लिया कि वही पुत्र उत्तराधिकारी बनेगा जो सबसे बुद्धिमान और पात्र होगा।
बुद्धिमान बालक की कहानी
ऐसा करते हुए राजा ने तीनों पुत्रों को अलग-अलग दिशाओं में भेज दिया और हर एक को सोने का सिक्का देते हुए कहा कि वे उस सिक्के से ऐसी चीज़ खरीदें जो पुराने महल को भर दे।
पहले पुत्र ने सोचा कि शायद पिता को गलती से यह सिक्का दिया गया है। थोड़ा पैसा कौनसी चीज़ से महल को भर सकता है? इसलिए उसने एक मयखाने में जाकर सारा पैसा खर्च कर दिया।
दूसरे पुत्र ने थोड़ी सोच समझकर देखा कि शहर में सबसे सस्ती चीज़ कूड़ा कचरा होती है। उसने महल को कचरे से भर दिया।
तीसरे पुत्र ने दो दिन तक ध्यान देकर सोचा कि पिता की उम्मीद पूरी कैसे हो सकती है। उसने मोमबत्तियों और लोबान की बतियों को खरीदकर महल को रोशनी और सुगंध से भर दिया। इसके बाद उसकी बुद्धिमानी को देखकर राजा ने उसे उत्तराधिकारी बना दिया।
बुद्धिमान बालक की कहानी से सिख :
बुद्धिमान बालक की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुद्धि की शक्ति से हम किसी भी चुनौती का समाधान निकाल सकते हैं।
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