डर के आगे जीत है | Dar ke aage jeet hai
परिचय:
डर आगे जीत का पता नहीं, लेकिन दर्द के आगे जीत है यह बात पक्की है। जीवन में आप अगर परेशनियो के अंधकार से गुजर रहे हो तो आप सही रास्तो पर हो।
आप को उजाला इस मार्ग से मिलना है इसलिए परेशनियो को हिम्मत से लड़ो।
अगर आप परेशानियों को समाप्त नहीं करोगे तो परेशानी आपको समाप्त कर देगी।
चलो शुरू करते है, डर के आगे जीत है पर कहानी | Dar ke aage jeet hai
बहुत पुरानी बात है, जब एक कला कारी एक मूर्ति बनाने के लिए जंगल में पत्थरों की खोज में गया। वहां पहुँचकर उसने एक उत्कृष्ट पत्थर पाया।
उस पत्थर की दृष्टि से उसकी खुशी बढ़ गई और उसने विचार किया कि यह पत्थर मूर्ति बनाने के लिए सही है।
पत्थर को संग लेकर जब वह वापस आ रहा था, तो उसने एक और पत्थर देखा, और उसने इसे भी साथ लिया। घर आकर वहने उसने पत्थर को अपने कला सामग्री से आराम से संवादयोजन करना शुरू किया।
जब उसने पत्थर पर औजारों से कारीगरी करते समय चोट लगाई, तो पत्थर ने बोलना शुरू किया – “कृपया मुझे छोड़ दें, मुझे बहुत दर्द हो रहा है। अगर आप मुझ पर और चोट पहुँचाएंगे, तो मैं टूटकर अलग हो जाऊंगा।
कृपया किसी और पत्थर का चयन करके मूर्ति बनाएं।”
शिल्पकार ने पत्थर की बात सुनकर उस पर दया की और उसने उस पत्थर को छोड़ दिया और दूसरे पत्थर से मूर्ति बनाने की प्रक्रिया शुरू की। नये पत्थर ने कोई ध्वनि नहीं की।
कुछ समय बाद, कला कारी ने उस पत्थर से एक अद्वितीय भगवान की मूर्ति बना ली।
डर के आगे जीत है | Dar ke aage jeet hai
गांववाले मूर्ति को देखने के लिए आए और उसे मंदिर में स्थापित किया। उन्होंने सोचा कि नारियल फोड़ने के लिए एक और पत्थर की आवश्यकता होगी, इसलिए उन्होंने पहले पत्थर को भी साथ लिया। मूर्ति को स्थापित करने के बाद, वे उस पत्थर को उसके सामने रख दिया।
अब हर व्यक्ति जब भी मंदिर आता, वह मूर्ति को फूलों से सजाता, दूध से स्नान करवाता और उस पत्थर पर नारियल फोड़ता। जब लोग पत्थर पर नारियल फोड़ते, तो पत्थर बहुत परेशान होता था।
पत्थर को दर्द होता और वह चिल्लाता, परंतु कोई उसकी बात नहीं सुनता था। तब पत्थर ने मूर्ति बने पत्थर से कहा, “तुम बहुत खुश नजर आते हो, लेकिन लोग तुम्हारी पूजा करने के लिए आते हैं। वे तुम्हे दूध से स्नान करवाते हैं और तुम्हारे लिए प्रसाद चढ़ाते हैं।”
“लेकिन मेरी किस्मत खराब है, मुझ पर लोग नारियल फोड़ कर जाते हैं। बने मूर्ति पत्थर ने जारी रखते हुए कहा, “शिल्पकार ने जब तुम पर कारीगरी कर रहा था, अगर तुमने उसे रोका होता, तो आज मैं वही मूर्ति होता।”
डर के आगे जीत है | Dar ke aage jeet hai
“लेकिन तुमने आसान रास्ता चुना है, इसलिए तुम्हें अब दुःख सहना पड़ रहा है।” मूर्ति पत्थर ने कहा, “अब मैं भी शिकायत नहीं करूंगा।” इसके बाद, लोग उस पत्थर पर नारियल फोड़ने लगे।
नारियल टूटने से उस पत्थर पर भी नारियल का पानी गिरता, और अब लोग मूर्ति के प्रसाद के रूप में उस पत्थर पर रखने लगे।
डर के आगे जीत है | Dar ke aage jeet hai से सिख :
सिख : इस कहानी से सिख मिलती है की हमारे जीवन में आगे बढ़ना है तो हमे दर्द सहना पड़ेगा। आसानी से कोई चीज़ हासिल नहीं होती इसलिए कहा जा सकता है की जितना बड़ा दर्द उतनी बड़ी सक्सेस।
इसलिए कहा जा सकता है की डर के आगे जीत है और दर्द के आगे भी जीत है.
डर के आगे जीत है” के 5 प्रमुख सवाल (FAQ) हैं:
Q.क्या सच में डर के आगे ( Dar ke aage jeet hai )जीत है?
Ans.बिलकुल, डर के आगे जीत ( Dar ke aage jeet hai ) है.
Q : डर के आगे जीत है” का मतलब क्या है?
Ans : इसका मतलब है “जीत डर को पार करके ही मिलती है।”
Q. मैं अपने डर को कैसे पार कर सकता/सकती हूँ?
Ans : डर को पार करने के लिए उसका सामना करना, आत्म-विश्वास बढ़ाना, और सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता होती है।
Q.डर को जीतना क्यों महत्वपूर्ण है?
Ans. डर को जीतना व्यक्तिगत विकास, सफलता, और भलाई के लिए महत्वपूर्ण है।
Q.डर के आगे जीत है” के विचार को मशहूर किसने किया?
Ans. इस विचार को विभिन्न प्रेरणा-स्रोतों और विचारकों ने इतिहास में प्रसारित किया है।
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