माता-पिता की सेवा पर कहानी
माता-पिता की सेवा पर कहानी
परिचय :
यह कहानी माता-पिता की सेवा पर कहानी पर आधारित है। माता और पिता में ही भगवान हैcजीवन में माता पिता का कर्ज हम नहीं चूका सकते है । माता और पिता की कहानी से पता चलेगा की पिता का दर्जा पृथ्वी से उप्पर है। इसलिए हमे माता पिता की सेवा करनी चाहिए।
चलो शुरू करते है, माता-पिता की सेवा पर जोरदार कहानी
एक बार, एक बेटा ने अपने पिता से झगड़कर गुस्से में घर से निकल पड़ा। वह बस स्टैंड की ओर बढ़ रहा था, मन में सोचते हुए कि वह पिता के छुपे पैसों के बावजूद अब बाइक नहीं खरीद सकता।
वह तय किया कि वह घर वापस नहीं आएगा, जब तक वह अपने खुद के पैसों से बाइक नहीं खरीद लेता। रास्ते पर चलते समय, उसे पैरों में कुछ चुभने की अहसास हुआ, और जब वह नीचे देखा, तो पता चला कि वह अपने पिता के जूते पहने हुए थे। उन जूतों में एक किल था, जो उसके पैरों में घाव कर रहा था, लेकिन उसका गुस्सा इतना ज्यादा था कि वह आगे बढ़ता रहा।
फिर उसको याद आया कि उसने पापा का पर्स भी साथ लिया है, और वह फिर सोचा कि आज वह पापा के पर्स को जाँच ले। जिसे अब तक पिता ने किसी के हाथ नहीं लगाया था।
वह पर्स खोला तो पैसे नहीं मिले, लेकिन वहाँ एक डायरी थी, और उसने सोचा कि शायद इस डायरी में छुपा हो कि कितने पैसे लिए हैं या फिर किसको कितने पैसे दिए गए हैं।
लेकिन जब वह डायरी को खोला, तो पहले पन्ने पर कुछ अजीब लिखा था। डायरी के पहले पन्ने पर लिखा था, और जब उसने यह पढ़ा, तो उसके चेहरे पर गुस्सा गायब हो गया।
क्योंकि डायरी में वह चीज़ नहीं थी, जो वह उम्मीद कर रहा था, या जो वह सोच रहा था। इसमें पैसों का हिसाब था, जो अलग-अलग कामों के लिए उधार लिए गए थे। उस सूची में कंप्यूटर के लिए पैसे थे, जिसका उसे पिता ने कभी नहीं बताया था कि कहाँ से आए।
वह देखा कि डायरी में कैमरे का भी हिसाब था, और वह याद करता था कि जब उसने कैमरे के लिए पहली बार झगड़ा किया था, तो पिता ने उसे ठीक दो हफ्ते बाद उसके जन्मदिन पर दिया था। वह पिता को बहुत खुश देखा था, और यह जानकर वह समझ गया कि पिता कितने संघर्षशील थे।
माता-पिता की सेवा पर कहानी
अब उसके बेटे के मन में गुस्सा गायब हो गया था। उसने दूसरा पन्ना पलटा, और वहाँ एक इच्छा
लिखी थी। पहली इच्छा थी – “अच्छे जूते पहनना,
उसके दिल में गिला शिकवा नहीं बचा, और वह रोने लगा। अब वह घर जा रहा था, उसके पैरों में घाव थे
वह उस जूते को खोल दिया और फेंक दिया, और फिर नंगे पैरों से घर की ओर बढ़ने लगा। घर पहुँचते समय, उसके पिता नहीं मिले, और वह समझ गया कि उनके पिता कहाँ गए हो सकते हैं।
वह दौड़कर बाज़ार की ओर बढ़ा, और वह इतनी ताकत से दौड़ रहा था कि थक नहीं रहा था, और वह बाइक दुकान पर पहुँचा। वहाँ पर उसके पिता थे, और उसने उन्हें देखकर गले लगा लिया। उसके पिता थे, और उन्होंने उसे समझने की कोशिश की, लेकिन उसके आँसू नहीं रुके। उसने पिता से कहा कि पापा, मुझे मोटरबाइक नहीं चाहिए, आप अपने लिए जूते खरीद लीजिए।
अब से मैं जो कुछ भी करूँगा, वो मैं अपने मेहनत से करूँगा।
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माता-पिता की सेवा पर कहानी से सिख –
पिता ने जो भी हमारे लिए किया है उनका आदर करे. आज जी तरह वो हमारी इच्छा पूरी कर रहे है वैसे हमे भी उनकी हर एक इच्छा पूरी करनी चाहिए
माता-पिता की सेवा पर कहानी से शिक्षा –
पिता से जो व्यक्ति रूठता है पैसो के लिए झगड़ा करता है वो कभी सफल नहीं होता है