परिश्रम पर प्रेरक प्रसंग ( Parishram par prerak prasang in hindi )
परिश्रम पर प्रेरक प्रसंग ( Parishram par prerak prasang in hindi )
प्रस्तावना –
परिश्रम ही जीवन है। जितने भी इस पूरे विश्व में सफल है। उन सभी में एक गुण समान है वह है परिश्रम।
आज हम हमारे जीवन में परिश्रम लाना है हमे सच्चे परिश्रम को समझना होगा।
चलो पढ़ते है, परिश्रम पर प्रेरक प्रसंग
एक गधा था। जो बहुत महनती था पर हमेशा वह निराश रहता था।
क्योंकि उसका मालिक हमेशा बहुत सारा सामान उसके पीठ पर लांघ देते थे।
वह परिश्रम करके पूरी तरह परेशानी हो चुका था।
जैसे जैसे दिन निकल रहे थे। उसके मन में काम के प्रति क्रोध की भावना जागृत हो रही थी।
एक दिन गधा जब अपने कंधे पर समान का बोझ लेकर बड़े परेशान हालत में रास्ते से जा रहा था।
वहा एक छोटी सी भी चिटी एक दाना लेकर जा रही थी।
उसी समय एक महापुरुष उसी रास्ते से गुजर रहे थे। उस समय चिटी के परिश्रम को देखकर प्रेमपूर्वक प्रणाम करते कहा, आप कर्म योगी हो।
गधा क्रोध से महापुरुष को कहता है,” मैं भी अपने कंधे पर इतना बोझ लेकर चल रहा हु।” आपको वह छोटी सी चिटी का ही परिश्रम दिखा।
क्या मैं कर्मयोगी नही हु ?
मेरा परिश्रम की कोई हमियत नही है क्या ?
मेरी मेहनत क्या मेहनत नही है क्या ?
मुझे इसका जवाब चाहीए।
महापुरुष ने कहा, ” चिटी ने जो भार अपने सिर पर उठाया है। वह उसके आकार से कई गुना बड़ा है।
वह अपना कार्य पूरे ईमानदारी, विश्वास, सेवा, और खुशी – खुशी से करती है । वह अपने कार्य को बोझ नहीं मानती।
इसलिए वह कार्यमयोगी है।
यह सुनकर गधे को अपनी गलती का आभास हुआ।
परिश्रम पर प्रेरक प्रसंग कहानी से निष्कर्ष :
परिश्रम पर प्रेरक प्रसंग कहानी ( Parishram par prerak prasang in hindi ) से सिख मिलती है की, आज के अधिकार व्यक्ति इसलिए दुखी है। क्योंकि वह परिश्रम करना नही चाहते।
इसलिए अपने कार्य को बोझ मानते है।
सच्चा परिश्रम करने वाला व्यक्ति हमेशा खुश रहता है। क्योंकि वह अपने परिश्रम को अपना स्वयं का कर्त्तव्य समझकर निष्ठा से कार्य करता है।
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