चालाक लोमड़ी की कहानी
1) चालाक लोमड़ी की कहानी ( Chalak lomdi ki kahani )
एक दिन लोमड़ी एक गहरे कुएं में गिर पड़ी।
कुएं में गिर कर जोर जोर से चिल्लाने लगी, ” मुझे कृपया बचाओ। “
वहा से जा रही बकरी ने आवाज सुनी तो, तुरंत कुएं के पास आकर देखने लगी।
बकरी ने कहा, बहन ! आप अंदर क्या कर रहे हो ?”
लोमड़ी बहुत ही चालक और शातिर थी।
बड़े प्यार भरे स्वर में कहा, ” इस कुएं का पानी बहुत ही अच्छा और मीठा है।
इस कुएं का पानी अमृत के समान है ! इतना मीठा जल पूरी दुनिया में नही मिलेगा।
आप भी आ जाओ कुएं के अंदर, दोनो जी भर कर पानी पीयेगे।
यह सुनकर बकरी ने छलांग लगा दी।
मोका देखते ही, बकरी की पीठ पर चढ़कर लोमड़ी बाहर आ गई।
बाहर आकर उसने हंसते हुए कहा, “
कोई भी कार्य करने के पहले विचार कर लीजिए।
निष्कर्ष :
चालाक लोमड़ी कहानी ( ( Chalak lomdi ki kahani ) से सिख मिलती है की, आज के चल कपट के दुनिया में हम लालच में आकर बहुत से गलत कदम उठा देते है।
इसलिए कोई भी कार्य करने के पहले अच्छे से सोच विचार कीजिए।
2) शेखी का बुरा परिणाम
लोमड़ी ओ का झुंड समुंदर के किनारे पानी पीने के लिए पहुंचा।
नदी उस समय अपने उफान पर थी।
समुंदर के उफान के कारण वह आगे जाने से डर रहे थे।
तब उनमें से एक लोमड़ी शेखी करते हुए बोली, कायर ! डरपोक, मुझे आप लोगो से यह उम्मीद नही थी !
मुझे आप लोगो को अपना साथी बोलने पर भी शर्म आ रही है।
मुझसे सीखो, “मैं कितनी साहसी हु। “
यह कहकर, लोमड़ी नदी में कुद गई।
जल्दी ही वह नदी के साथ बडे़ तेजी से बहने लगी।
यह देखकर बाकी लोमडियो ने मजाक बनाते हुए कहा, ” अरे ! जरा पानी पीकर दिखाओ?
” साथियों, मुझे माफ कर दो।
मुझे आप बाहर निकालो, मेरी सहायता करो।
मैं आज कसम खाती हु ! जिंदगी में कभी शेखी नही बघारुगी।
यह बोलते बोलते, पानी के तेज बहाव में डूबकर लोमड़ी भगवान को प्यारी हो गई।
निष्कर्ष :
कभी-कभी हमारा बड़बोलापन हमारे जीवन के लिए बहुत ही घातक साबित हो सकता है।
इसलिए हमें कभी भी बिना सोचे समझे शेखी बघारनी नही चाहिए क्योकि उसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है ।
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