हिंदी कहानि – वास्तविक आनंद (Prenadayak Hindi Kahani)
हिंदी कहानि – वास्तविक आनंद ( Prenadayak Hindi Kahani or Hindi Story Collection )
एक बार की बात है ! गांव में रहने वाले चूहे की दोस्ती शहर के एक चूहे से हो गई।
एक बार ग्रामीण चूहे शहरी छुए को खाने पर बुलाया।
उसने उसे जो और मकई के दाने परोसे दोनों चुहो ने बड़े आराम से और गपशप करते हुए बड़े शांतिपूर्वक खाना खाया।
और एक समय शहरी चूहे ने ग्रामीण चूहे को खाने पर बुलाया।
शहरी चूहे ने ग्रामीण चूहे सामने स्वादिष्ट फल, पनीर, बिस्किट सभी सामने लगा रखा।
जैसे ही खाना शुरु किया उतने में दरवाजे खुला और एक आदमी अंदर आया।
उसे देख कर दोनो चूहे चुप गए।
वह आदमी जाने के बाद चूहे वापस खाना खाना शूरु किया।
उतने में फिर से एक औरत अंदर आई तो चूहै फिर से भाग गए।
ग्रामीण चूहा परेशान हो गया और आग बबूला होकर बोला, ” भले हमे तरह तरह के भोजन प्राप्त नहीं होते पर हम ग्रामीण जीवन में आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करते है ।
निष्कर्ष :
Prenadayak Hindi Kahani से सीख मिलती है, साधा जीवन और भयमुक्त जीवन से ही वास्तविक आनद प्राप्त हो सकता है ।
2) Prenadayak Hindi Kahani – बुरे नियत का नतीजा
एक गांव में एक अंधी औरत रहती थी !
वह काफी अमीर थी और उसने घोषणा की थी की जो भी डाक्टर उसकी आखों की रोशनी वापस दिलाएगा, उसे वह थैला भरकर सोने की मोहरे देगी !
एक डॉक्टर ने उसका इलाज करने का दावा किया !
उसकी योजना थीं की इलाज के बहाने वह अंधी औरत के घर में रखी वस्तु चुराकर ले जाएगा !
डाक्टर कही महीनो तक अंधी औरत का इलाज करता रहा !
जब भी वह उसके घर आता कोई न कोई वस्तु लेकर आता !
इस प्रकार धीरे धीरे उसका सारा सामान डॉक्टर के घर पहुंच गया !
लम्बे समय बाद अंधी औरत की आखों की रोशनी लोट आई तो डाक्टर ने उसे अपनी फीस के रूप में मोहरे का थैला मांगा !
उसके इनकार करने का बाद न्यायलय में पहुंची !
डॉक्टर ने जज से कहा, ” मैने एक स्त्री का इलाज किया है, पर बदले में यह मेरी फीस नहीं दे रही ! “
अंधी औरत ने उत्तर दिया,” जज साहब, जब मुझे अपने घर में रखा सामान दिखाई नहीं दे रहा तो मैं कैसे मान लूं की मेरी आंखे ठीक हो गई है !”
सुनकर डाक्टर शर्मिंदा होकर वहा से चला गया !
निष्कर्ष :
Prenadayak Hindi Kahani से सीख – कभी भी दूसरे की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहीए !