नैतिक शिक्षा पर कहानी – शिक्षण व्यवस्था ( Naitik Siksha Par Kahani )
नैतिक शिक्षा पर कहानी – शिक्षण व्यवस्था ( Naitik Siksha Par Kahani )
विनोबा भावे जी प्रचंड विद्वानों में से एक थे। वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, समाज को सही नेतृत्व करने वाले महापुरुष थे।
उनके विचार बहुत ही प्रभावशाली थे।
शिक्षा पर कहानी इन हिंदी ( naitik shiksha par kahani in hindi)
एक समय विनोबा भावे जी को महाराष्ट्र के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया जाता है।
विनोबा भावे जी विश्वविद्यालय में प्राचार्य जी से सवाल करते हैं कि आप इस विश्वविद्यालय में क्या सिखाते हैं ?
प्राचार्य जी कहते हैं कि,
- गणित
- विज्ञान और हर कक्षाओं के अनुसार सभी विषयों को सही तरह से सिखाते है।
विनोबा भावे जी कहते हैं क्या आप विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा का ध्यान कराते हैं ?
प्राचार्य जी शर्मिंदा होकर उन्हें कहते हैं कि हम नैतिक शिक्षाओं पर अध्ययन नहीं कराते हैं।
उस समय विनोबा भावे जी आग्रह करते हैं कि आप विद्यार्थियों को जो भी शिक्षा दे रहे हैं उसके साथ साथ नैतिक शिक्षा का ज्ञान भी दीजिए।
अगर आप नैतिक शिक्षा का ध्यान दोगे तो यह विद्यार्थी अगर चलकर समाज को सही दिशा दिखा सकते हैं।
अगर आप नैतिक शिक्षा का ज्ञान नहीं दोगे तो समाज के लिए हानिकारक हो सकता है।
नैतिक शिक्षा भी विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
नैतिक शिक्षा पर कहानी – शिक्षण व्यवस्था ( Naitik Siksha Par Kahani से सिख मिलती है की,
शिक्षण व्यवस्था से पैसे कमाने का आत्मविश्वास तो आता है है पर जीवन में कोई समस्या है तो उस परिस्थिति से लड़ने का आत्मबल नहीं है।
इंसान में आत्मबल की कमी के कारण और छोटे-छोटे समस्या से भी आत्महत्या जैसे गलत मार्ग का चयन करता है।
इस बात को समझना होगा की हमारे समाज को बदलना है तो, शिक्षण व्यवस्था में भौतिक ज्ञान के साथ आध्यात्मिक ज्ञान का जुड़ना आवश्यक है।
जिससे युवान को सही दिशा प्राप्त हो जिससे जीवन में विपरीत समस्या आने पर गलत निर्णय का चुनाव ना करें।