शिक्षाप्रद कहानि इन हिंदी – चिंताओं का बोझ ( Shikshaprad Kahani In Hindi)
शिक्षाप्रद कहानि इन हिंदी – चिंताओं का बोझ ( Shikshaprad Kahani In Hindi)
एक बार मास्टरजीने हाथ में पानी से भरा एक गिलास लिया।
उन्होंने बच्चों को पूछा, “यह क्या है?” सभी ने उत्तर दिया, “यह पानी का गिलास है।”
मास्टरजी ने फिर पूछा, “यह पानी के गिलास का वजन कितना होगा ?”
बच्चो ने कहा, ” तकरीबन २०० ग्राम।”
उन्होंने फिर से पूछा, “अगर मैं गिलास को सिर्फ कुछ मिनटों तक हाथ में रखूंगा तो क्या होगा ?
छात्रों ने उत्तर दिया, “कुछ नहीं होगा।”
शिक्षाप्रद कहानि इन हिंदी ( Shikshaprad Kahani In Hindi)
मास्टरजी ने दोबारा सवाल पूछा“अगर मैं इसे एक घंटो तक पकड़े रहूं तो ?”
बच्चो ने कहा कि, “हाथ बहुत दर्द होगा।”
उन्होंने फिर से प्रश्न किया, “अगर पूरे दिन पकडू तो क्या होगा” ?
तब छात्रों ने तुरंत कहा, “आपकी नसों में तनाव शुरू हो जायेगा। नसें काम करना बंद कर देगी हैं। जिसका परिणाम लकवा भी हो सकता है।”
मास्टरजी ने कहा, “बिल्कुल ठीक जवाब।
तब मास्टरजी बोले, “यही नियम हमारे जीवन पर भी समान रूप से लागू होता है।
यदि हम किसी भी समस्या को कुछ मिनटों के लिए अपने दिमाग में रखते हैं तो हमे उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
लेकिन अगर हम पूरे दिन चिंता के विषय में सोचने लगेंगे तो हमारे जीवन में गंभीर रूप से परिणाम पड़ेगा ।
इसलिए सुखी जीवन के लिए जरुरी है कि चिंताओं का भार अपने सिर पर लेकर ना घूमे ।
निष्कर्ष :
शिक्षाप्रद कहानि इन हिंदी ( Shikshaprad Kahani In Hindi) से सिख मिलती है की,
जिस तरह पूरे दिन गिलास को हाथ में रखे तो गिलास के वजन में कोई फर्क नही आयेगा पर हाथो के नस में बहुत बुरा दुष्परिणाम होगा ।
उसी तरह दिमाग में चिंता के विषय के बारे में ही सोचते रहोगे तो चिंता उतनी ही रहेगी पर उसका बुरा प्रभाव आपके मानसिक स्थिति व आपके जीवन के हर एक पहलू पर पड़ेगा।
चिंता अगर मनुष्य के जीवन में हावी हो जाए तो वह चिंता चिता में भी बदल सकती है ।
अगर सूखी जीवन चाहते हो तो समस्याओं के बोझ को दिमाग से तुरंत निकाल दीजिए ।
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