स्वामी विवेकानंद के जीवन का प्रेरक प्रसंग – तड़प
आज हम बात करेंगे स्वामी विवेकानंद के जीवन के प्रेरक प्रसंग के बारे में !
स्वामी विवेकानंद जी का जीवन बहुत ही प्रभावशाली है उनके जीवन का एक प्रसंग आपको बताना चाहता हूं ! स्वामी विवेकानंद जी रामकृष्ण परमहंस के पास जाते हैं और कहते हैं कि मुझे भगवान का दर्शन करना है !
मुझे साक्षात भगवान को देखना है ! उन्होंने इस बात को बहुत बार दोहराया ! वह हर दिन एक ही सवाल रामकृष्ण परमहंस जी को करते थे कि मुझे भगवान को देखना है !
रामकृष्ण परमहंस बार-बार एक ही सवाल को सुनकर उन्होंने सोच ही लिया कि स्वामी विवेकानंद को प्रभु प्राप्ति का मार्ग बताना पड़ेगा ! उन्होंने एक नदी किनारे विवेकानंद जी को बुलाया !
और उनको नदी के बीचो-बीच ले गए और और उनका सर पानी के अंदर डाल दिया !
उन्होंने यह करीबन 1 से 2 मिनट तक किया ! विवेकानंद जी का सर जब पानी से बाहर निकाला तो पूरी तरह से घबराए हुए थे !
उन्होंने कहा कि अगर आप एक और मिनट मेरा सर पानी के अंदर रखते हैं तो मेरी सांसे थम जाती !
तब रामकृष्ण परमहंस जवाब देते हुए कहते हैं कि जब आपका सर पानी के अंदर था जब आप घुटन महसूस कर रहे थे तो आपके मन में क्या चल रहा था !
विवेकानंद जी ने जवाब देते हुए कहा कि मैं तड़प रहा था !
मुझे सिर्फ बाहर निकलने की तड़प थी !
मेरा मस्तिष्क बिल्कुल काम नहीं कर रहा था ! मुझे जो तड़प और जितनी यातना हुई उस 1 मिनट के दौरान आप विचार भी नहीं कर सकते !
तब रामकृष्ण परमहंस कहते हैं कि अगर आप को भगवान को देखना है और भगवान को प्राप्त करना है तो ऐसे ही तड़प तुम्हारे जीवन में प्रभु को पाने में होनी चाहिए तब अवश्य ही भगवान के दर्शन आपको होगे !
निष्कर्ष :
स्वामी विवेकानंद के जीवन का प्रेरक प्रसंग से हमें प्रेरणा मिलती है की, आज के समय हमें कुछ भी पाना है तो हमें उस चीज की तड़प होनी चाहिए!
! जब तक हमारा दिल और दिमाग एक साथ ना हो जाए तब तक किसी कार्य को पाने के लिए हमें हमेशा संघर्ष करना पड़ेगा ! कितना भी बड़ा ध्येय हो ! कितना भी बड़ी चुनौती हो सामने !
अगर आपको उस चीज को पाने की चाहत है और अब दिल और दिमाग से उस कार्य के प्रति काम कर रहे हो तो अवश्य आपको वह सब प्राप्त होगा जो आपने सोचा है !