सच्चा उत्तराधिकार बनने का रहस्य

एक राजा था वह बहुत धनवान था । 

उनके तीन पुत्र थे एक का नाम था।  राम दूसरे का नाम से श्यामऔर तीसरे का नाम  घनश्याम था। राजा जब बूढ़ा हो गया तब उसे उसके गद्दी के उत्तराधिकार की चिंता सताने लगी तब उसने एक ऐसा निर्णय लिया कि मैं अपने पुत्र को एक कार्य सोपता हु अगर वह काम को जो अच्छी तरीके से पूरा करेगा

उसको मैं इस गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित कर लूंगा राजा कुछ मुद्राएं तीनों पुत्रों को देते हैं और कहते हैं कि इस मुद्रा से आप कुछ ऐसा करो कि यह पूरा घर भर जाए।

पहला पुत्र बहुत ही चालाक होता है, वह कम समय में ही पूरे कचरे के ढेर से पूरा घर भर देता है।

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दूसरा वाला पुत्र घास फुस लाकर पूरा घर भर देता है।

तीसरा वाला पुत्र उस मुद्रा से एक दिया खरीदता है और अगरबत्ती खरीदता उससे दिए से पूरा घर प्रकाश से भर जाता है और अगरबत्ती से पूरे घर में सुगंधित वातावरण हो जाता है।

 

राजा तीसरे  पुत्र   को बिना सोचे बिना समझे तुरंत ही उसे राज्य का उत्तराधिकारी घोषित कर देता है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है जिसकी जैसी विचारधारा होती है  व्यक्ति  उस तरीके से व्यक्ति  काम करता है

अगर आप की विचारधारा सकारात्मक है तो आपके कार्य में भी वो दिखेगा उसके काम करने के तरीके में दम होगा लोगो अपने आप काम के प्रति नतमस्तक होगे। हम कोशिश करेंगे कि हमारे विचारधारा को सकारात्मक बनाए रखें.

जिससे जीवन की हर महत्वाकांक्षाओं को हासिल कर सकें। 

 

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