महापुरुष रामकृष्ण परमहंस का प्रेरक प्रसंग – त्याग

महापुरुष रामकृष्ण परमहंस का प्रेरक प्रसंग – त्याग

रामकृष्ण परमहंस का प्रेरक प्रसंग आज हम बात करेंगे महापुरुष रामकृष्ण परमहंस के जीवन के एक छोटे से प्रेरणादायक प्रेरक प्रसंग के बारे में !

रामकृष्ण परमहंस नदी किनारे हमेशा की तरह अपने ध्यान में बैठे हुए थे ! उनके पास में उनका शिष्य भी बैठा हुआ था !

शिष्य हमेशा सभी को एक ही सवाल पूछा करता था उसका जवाब मिलने के बाद कभी संतुष्ट नहीं होता था !

उसके मन में आया कि वही सवाल में रामकृष्ण परमहंस जी से पूछता हूं, काश मेरे सवाल का उत्तर मिल जाए ! और वह सवाल था की पूरे भगवत गीता का सारांश एक शब्द में बताओ !

जब रामकृष्ण परमहंस अपने ध्यान से जब उठे तब उनके शिष्य ने यही सवाल उनको किया को भगवत गीता का सारांश एक शब्द में बताओ

यह सवाल सुनकर रामकृष्ण परमहंस धीरे से मुस्कुराए और कहा कि अपने जो सवाल पूछा है , उसी में ही उसका उत्तर है ! शिष्य ने पूछा, कैसे ?

रामकृष्ण परमहंस ने बताया कि, आप ने जो शब्द इस्तेमाल किया गीता आप उस शब्द को उल्टा कर लीजिए और उसका निरंतर पारायण कीजिए आपको इसका उत्तर मिल जाएगा !

और यह कहकर वह घर चले गए ! उसके बाद कहीं समय तक उनका शिष्य सोचने लगा कि ऐसा कैसा उत्तर है ! उनके शिष्य ने वैसा ही किया जिसे रामकृष्ण परमहंस ने कहा था की गीता शब्द को उल्टा कीजिए तो वह शब्द हो गया “तागी”!

और वह तागी शब्द का निरंतर बोलता गया जैसे तागी, तागी,तागी,तागी,तागी,तागी,तागी,तागी,तागी ! धीरे धीरे वह तागी तागी से त्यागी त्यागी त्यागी त्यागी त्यागी उच्चारण होने लगा !

जैसे ही वह त्यागी शब्द सुनाई देने लगा तो वह रुक गया और समझ गया कि रामकृष्ण परमहंस त्यागी होने के बात कर रहे हैं !

और वहां इस उत्तर से काफी संतुष्ट हुआ और उसने अपने जीवन में सच्चे त्याग कि परिभाषा को समझा और अपने जीवन में अनुग्रह किया !

निष्कर्ष :

रामकृष्ण परमहंस जैसे महान महापुरुष का हमारे भारत भूमि में जन्म लेना यह सौभाग्य की बात है !

उसी कारण हमें रामकृष्ण परमहंस का प्रेरक प्रंसंग और अन्य महपुरषो की जीवन से समाज को सही दिशा मिलती है | जिन्होंने हमारे भारतीय संस्कृति की विचारधारा लोगों तक पहुंचाया इससे एक राष्ट्र निर्माण हुआ !

कभी-कभी विचार करता हूं , महापुरुष के जन्म हमारे भारत नहीं हुए होते तो उपनिषद, वेद, आज जितनी भी अच्छे विचार हम तक नहीं पहुंचते तो समाज का पतन निश्चित होता !

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