भगवान पर विश्वास की सत्य कहानी
भगवान पर विश्वास की सत्य कहानी
परिचय : भगवान पर विश्वास की सत्य कहानी पढ़ना जरुरी है, क्योकि ईश्वर पर विश्वास करने वाला हमेशा खुश रहता है। यह भगवान पर विश्वास कहानी सुनेगे तो हमारा ईश्वर पर विश्वास बढ़ जायेगा।
जो भगवान का भक्त होता है और भगवान के प्रति अटूट विश्वास होता है. भगवान उसकी सभी समस्याओ का समाधान करते है।
हम भगवान पर विश्वास कहानी शुरू करते है,
भगवान पर विश्वास की सत्य कहानी
एक बहुत ही कंजूस सेठ एक दिन अपने दुकान पर बेटे को बैठा दिया और उससे कहा कि बिना किसी को पैसे देने के किसी को भी कुछ नहीं देना, जब तक मैं वापस नहीं आता।
अचानक, एक संत आ गए, जो अलग-अलग स्थानों से भोजन सामग्री इकट्ठा करते थे। संत ने सेठ के बेटे से अनुरोध किया कि वह उन्हें थोड़ा नमक दे दे। बेटे ने संत के लिए डिब्बा खोलकर एक चम्मच नमक दिया।
जब सेठ वापस आए, तो उन्होंने देखा कि डिब्बा खुला हुआ था।
सेठ ने पूछा कि उन्होंने क्या बेचा, तो बेटा ने बताया कि एक संत जिनका आवास तालाब के पास है, ने उन्हें एक चम्मच नमक दिया था।
इसके बाद, सेठ ने संत की ओर बढ़ते हुए कहा, तब तक संत भगवान के भोग को तैयार करके खाने के लिए तैयार बैठ चुके थे। सेठ ने दूर से ही बोला कि महाराज, आपके लाए गए नमक में जहरीला पदार्थ है, कृपया इसे न खाएं।
संतजी ने कहा, “सेठ जी, मैंने नमक को भोजन में मिला दिया है और प्रभु को भोग लगा दिया है। इसलिए अब मुझे भी खाना अनिवार्य है क्योकि इस तरह संत ने भोजन को प्रसाद मानकर खाना शुरू कर दिया। भगवान पर पूरा विश्वास था।
परमात्मा पर विश्वास
सेठजी के होश उड़ गए, और वे रात भर वहीं बैठे रहे। सेठ के मन में उस समय यह ख़याल था कि अगर संत को कुछ हो गया तो उसकी बड़ी बदनामी हो सकती है।
वे सोचते रहे कि अगर संत की तबियत ख़राब हो गई तो कम से कम एक वैद्य की सलाह तो जरूर लेंगे।
सोचते-सोचते उन्हें नींद आ गई। सुबह की तरह संत जल्दी उठे और नदी में स्नान करने लगे। सेठजी ने पूछा, “महाराज, तबियत ठीक है ना?” संत ने मुस्कराते हुए कहा, “भगवान की कृपा है।
भगवान के चमत्कार की कहानी
” इसके बाद वे उन्होंने पूजा करने के लिए मंदिर जाने की यात्रा आरंभ की।
जैसे ही संत ने मंदिर का प्रवेश किया, उन्होंने देखा कि भगवान की मूर्ति के दो टुकड़े हो गए थे और मूर्ति का शरीर काला पड़ गया था।
इस दृश्य को देखकर सेठ को सब समझ में आ गया कि भक्त के अटल विश्वास के कारण भगवान ने भोजन के रूप में जहर को स्वयं अपने अवतार में ग्रहण कर लिया और उसे भक्त के रूप में प्रसाद के रूप में स्वीकार किया।
इस घटना के बाद, सेठ ने तुरंत अपने बेटे को दुकान की जिम्मेदारी सौंप दी और स्वयं संत की शरण में आकर भगवान की भक्ति करना शुरू किया।
इस चमत्कार के कारण यह कहानी भगवान की चमत्कार की कहानी के नाम से प्रचलित हुई।
भगवान पर विश्वास की सत्य कहानी से सिख :
भगवान पर विश्वास की सत्य कहानी से सिख मिलती है की भगवान पर अटूट विश्वास होना चाहिए।
भगवान पर विश्वास की सत्य कहानी से शिक्षा मिलती है की भगवान का जो सच्चा भक्त होता उसके सर पर भगवान का हमेशा हाथ होता है। भक्त और भगवान की सच्ची घटना का अनुभव एक सच्चे भक्त को ही हो सकता है।
परमात्मा पर विश्वास की कहानी से सिखने मिलता है की जीवन में निश्वार्थ प्रेम भगवान पर करना है। जिससे ईश्वर प्रेम बना रहेगा।
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