प्रेरक कहानी – चार मोमबत्तिया

आज मैं ऐसी प्रेरक कहानी ( short story in hindi ) आपको बताना चाहता हूं, जो आपके जीवन की निराशा को आशा में परिवर्तित करेगी !

हर व्यक्ति को प्रेरक कहानियां पढ़नी चाहिए ! जिससे सकारात्मक ऊर्जा पैदा हो और उससे हम नकारात्मक विचारों का सामना कर सके !

तो चलिए बढ़ते हैं प्रेरक कहानी की ओर,

प्रेरक कहानी - चार मोमबत्तिया

एक अंधेरे कमरे में चार मोमबत्तियां जल रही थी ! पहली मोमबत्ती ने अपना परिचय दिया कि मैं विश्वास हूं !

मैं इस दुनिया में नहीं रहना चाहती हूं ! क्योंकि आज के इस आधुनिक युग में विश्वास नाम इंसानों के नाम तक ही सीमित है ! असलियत में इस दुनिया में विश्वास बचा ही नहीं है !

जिस पर ज्यादा विश्वास करोगे वही आपको सबसे ज्यादा पीड़ा देगा !

इसलिए मैं अपना जीवन या समाप्त करने जा रही हूं यह कहकर वह बुझ जाती है !

दूसरी मोमबत्ती कहती है कि मेरा नाम शांति है ! और इस पूरी दुनिया में अशांति है !

जहा इतनी अशांति हो वह शांति नहीं रह सकती ! क्या कहना चाहती हू की, इस दुनिया में अशांति रहेगी या फिर मैं रहूगी ! हम दोनों साथ में नहीं रह सकते !

और मुझे इस बात का पता है कि अशांति हमेशा हर दिन बढ़ते जाएगी इसलिए मैं अपना जीवन को इसी वक्त ही समाप्त कर रही हूं यह कह कर वह बुझ जाती है !

तीसरा मोमबत्ती अपना परिचय देती है कि मेरा नाम प्रेम है !

मैंने इस दुनिया से एक चीज सीखी है कि , प्रेम लोग स्वार्थ के लिए करते हैं !

जिस दिन इंसान का स्वार्थ खत्म हो जाएगा उस दिन प्रेम भी खत्म हो जाएगा ! सच्चा प्रेम पाने के लिए मुझे किसी अगले अच्छे युग में जन्म लेना पड़ेगा यह कलयुग मेरे लिए नहीं है !

यह कहकर वह भी बुझ जाती और अपना जीवन समाप्त कर देती है !

चौथी मोमबत्ती के सामने तीनों मोमबत्ती ने अपने प्राण त्याग दिए और अंधेरे कमरे में और भी ज्यादा अंधेरा हो गया !

चौथी मोमबत्ती तो अकेले थी वो भला अपना परिचय किसे बताती ! उसने अपने आप को ही कहा कि मैं आशा हूं ! भले ही जीवन में कितनी भी कठिनाइयां हो !

भले यह झूठ कपट की दुनिया है ! अगर मैं भी यही विचार करती रहूंगी तो समाज बदलेगा कैसे !

मै आज प्रण लेती हू की, कि मैं अपने आखिरी लो तक लड़ते रहूंगी ! और मैं अपना पूरा जीवन आशावादी बन कर व्यतीत करुगी !

निष्कर्ष :

यह कहानी सच में दिल को छूने वालों में से एक कहानी है !

आज के समय इंसान के साथ कुछ भी गलत हो जाता है तो तुरंत ही गलत निर्णय ले लेता है !

वह निराशावादी बन जाता है ! आज हमें इस निराशावादी वृत्ति से दूर जाना है तो, हमें आशा की किरण हमारे जीवन में लानी होगी !

जिस दिन आप आशावादी बन गए उस दिन आपको विश्वास, प्रेम और शांति सब प्राप्त हो जाएगी !

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