तोता की कहानी

परिचय:

जीवन में हम कभी कभी छोटी बात को बार बार सोचकर हम निराश हो जाते है। लेकिन ध्यान रखिये की हर समस्या का समाधान बहुत बहुत ही आसान होता है। तोता की कहानी से कहानी पता चलेगा, हर बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान बहुत ही सरल होता है।

तोता की कहानी

तोता की कहानी

एक बार की बात है, जब एक छोटी सी लड़की राधा अपने पिता के साथ रहती थी। उसकी माँ बचपन में ही इस दुनिया को छोडकर चली गई थी। वह लड़की अपने घर के काम करती और फिर कॉलेज जाती थी। जब भी वह कॉलेज जाती, तो रास्ते में उसने तोता को दाना डालती देखा।

उसके घर में दो प्यारे तोता भी थे, और उन्हें भी वह दिन-रात देखभाल करती थी। एक दिन जब उसने तोता को दाना डालते हुए रास्ते में ही, जमींदार के बेटे ने उसे देख लिया। उसने अपने पिता से जाकर बताया कि उसे राधा से शादी करनी है।

तोता की कहानी

जमींदार ने राधा के पिता से मिलकर उनकी शादी रचा दी। राधा अपने दो तोता को अपने साथ ससुराल लेकर गई। वह तोता का देखभाल करती थी और उन्हें रोज़ दाना देती थी। परंपरागत दृष्टिकोण रखने वाली सास को यह सब पसंद नहीं आया।

सास उन तोता को परेशान करती और उनका दाना ज़मीन में फेंक देती थी। एक दिन, राधा की सास ने तोता के पिंजरे को ज़मीन पर फेंक दिया। राधा ने यह सब देख लिया।

राधा ने सास के खिलाफ आवाज़ उठाई, तो सास ने उसे डांट दिया। ऐसे ही परेशानियों से घिरी राधा की ज़िंदगी मुश्किल हो गई। एक दिन, उसके पति ने उससे उसकी परेशानी का कारण पूछा और वह सब कुछ बता दिया। उसके पति ने उसे सलाह दी कि वह तोता के लिए उन्हें पार्क में छोड़कर आए, जिससे वे स्वतंत्र रूप से उड़ सकें।

राधा ने अपने पति की सलाह मानी और उन दोनों तोता को पार्क में छोड़ दिया, जहाँ अन्य पक्षियों के साथ वे आराम से रह सकते थे। अब पार्क के तोता ने भी उन्हें अपना दोस्त मान लिया था। वे अब राधा के घर भी आने लगे थे। जब सास ने यह देखा, तो उसकी सोच बदल गई।

सास ने राधा से कहा कि अब वे दोनों पक्षियों को साथ लेकर पार्क में जाएंगे, उन्हें दाना देंगे और फिर पर्क से पहले के तोता को घर लाएंगे। राधा को यह सुनकर बड़ा खुशी हुई।

तोता की कहानी

तोता की कहानी से सीख मिलती है कि  हमें  छोटे से छोटे  जीव से प्रेम करना चाहिए। हमें यह बात भी सिखाती है कि जीवन में किसी भी समस्या लेकर परेशान और हताश मत होइए,  समय आने पर सब ठीक हो जाता है।

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