जैसे संगत वैसी रंगत
प्रेरक प्रसंग 1 – जैसे संगत वैसी रंगत
एक अध्यापक अपने शिष्यों के साथ वन घूमने जा रहे थे।
रास्ते में वे अपने शिष्यों के अच्छी संगत की महिमा समझा का विचार आया ।
लेकिन शिष्य को कही बार समझाने के बाद भी वे समझ नहीं पा रहे थे ।
अध्यापक ने फूलों से भरा एक गुलाब का पौधा देखा ।
उन्होंने एक शिष्य को उस पौधे के नीचे से तत्काल एक मिट्टी का ढेला उठाकर ले आने को आदेश दिया ।
जब शिष्य ढेला उठा लाया तो अध्यापक बोले – इसे अब सूंघो ।
शिष्य ने ढेला सूंघा और बोला – “ गुरु जी इसमें से तो गुलाब की बड़ी बहुत अच्छी खुशबू आ रही है ।”
अध्यापक बोले – “ शिष्यों ! जानते हो इस मिट्टी में यह मनमोहक सुगंध कैसे आई ?
दरअसल इस मिट्टी पर गुलाब के फूल, टूट टूटकर गिरते रहते हैं, तो मिट्टी में भी गुलाब की महक आने लगी है जो की ये असर संगत का है
जिस प्रकार गुलाब की पंखुड़ियों की संगति के कारण इस मिट्टी में से गुलाब की महक आने लगी सकती है।
उसी प्रकार जो व्यक्ति जैसी संगत में रहता है उसमें वैसे ही विचार और आचरण आ जाते हैं ।
संगति का असर कहानी से सीख:
हमारे रोजमर्रा जिंदगी में हमारे व्यवहार वैसा होता है जिनके साथ हम रहते है।
इस बात का ख्याल रखना की हम सज्जन और आध्यात्मिक विचारवालो के साथ रहे जिससे नकरात्मक विचारो का बढ़ावा न हो।
जो व्यक्ति खुश है आपको उससे आप रहोगे तो आप भी प्रस्सन रहेंगे।
प्रेरक प्रसंग 2 – सच्चा मित्र
दो मित्र बड़े जंगल से जा रहे थे ! उनकी नजर एक भालू पर पड़ी ! वह भालू जैसे नजदीक आने लगा तो पहला मित्र तुरन्त ही पड़ गया !
परंतु दूसरा मित्र के समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें ?
तब उससे उसकी विद्यालय में कहीं गई एक कहानी के बारे में याद आया की भालू मृत व्यक्ति का कभी शिकार नहीं करता!
वह अपनी सांसे बंद करके लेट गया !
भालू पास आया और सूंघ कर चला गया !
ससेब उसे अपनी पाठशाला का एक सबक याद आया की भालू मरे हुए आदमी का शिकार नही करते !
वह बिलकुल एक मृत व्यक्ती को भाती धरती पर सास रोककर सीधा लेट गया !
भालू उसके पास आया और उसे सुंघकर चला गया !
थोड़ी देर बाद पहला मित्र से उतर कर दूसरे मित्र को कहता है कि,भालू कान में क्या कहा”!
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[…] छोटी कहानी with Moral – जीवन में अगर महत्वपूर्ण चीज है वह है संगति. जैसी संगत वैसी रंगत. […]